Shardiya Navratra 2020: आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं तो नवरात्र पर इस विधि से करें मां ब्रम्हचारिणी की पूजा और पढ़ें ये कथा

Shardiya Navratra 2020: जब भगवान शिव ने अग्नि का रूप ले लिया तब माता पार्वती ने भी सब कुछ त्याग कर भगवान शिव की तरह ही जीना शुरू कर दिया. इस दौरान माता पार्वती ने कई सालों तक पहाड़ों पर तपस्या की इसी कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी के नाम से भी जाना जाता है. इस तरह माता पार्वती ने कठिन तपस्या कर भगवान शिव का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया.

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Shardiya Navratra 2020: आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं तो नवरात्र पर इस विधि से करें मां ब्रम्हचारिणी की पूजा और पढ़ें ये कथा

Aanchal Pandey

  • September 28, 2020 5:51 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

नई दिल्ली: शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर 2020 से प्रारंभ हो रही है. शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन मां की विधिवत पूजा करने से जप के साथ ही त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम में भी बढ़ोतरी होती है. ऐसा विश्वास है कि इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से लक्ष्य को पूरा करने का सामर्थ्य मिलता है लेकिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कथा के बिना अधूरी ही मानी जाती है. तो चलिए जानते हैं क्या है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

मां ब्रह्मचारिणी की कथा- पौराणिक कथा के अनुसार जब माता पार्वती ने भगवान शिव के साथ विवाह करने की इच्छा प्रकट की तो इस बात के लिए उनके माता पिता नहीं मानें. इसके बाद वह अपने माता पिता को विवाह के लिए मनाने की कोशिश में जुट गई. चूंकि भगवान शिव वैरागी थे, इसलिए माता प्रार्वती ने उन्हें कामुक करने के लिए कामदेव से सहायता मांगी. जब भगवान शिव अपनी तपस्या में लीन थे तब कामदेव ने अपना कामवासना वान भगवान शिव पर चला दिया. जिसके बाद भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई और कामदेव पर काफी क्रोधित हो गए. इसके बाद भगवान शिव ने अग्नि का रूप ले लिया और खुद के साथ-साथ कामदेव को भी जला दिया.

जब भगवान शिव ने अग्नि का रूप ले लिया तब माता पार्वती ने भी सब कुछ त्याग कर भगवान शिव की तरह ही जीना शुरू कर दिया. इस दौरान माता पार्वती ने कई सालों तक पहाड़ों पर तपस्या की इसी कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी के नाम से भी जाना जाता है. इस तरह माता पार्वती ने कठिन तपस्या कर भगवान शिव का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया. जिसके बाद भगवान शिव माता पार्वती से प्रसन्न हो गए और रूप बदलकर माता पार्वती के सामने प्रकट हुए. इसके बाद भगवान पार्वती के सामने अपनी ही बुराइयां करने लगे. लेकिन माता पार्वती ने उनकी एक ना सुनीं और उन्हें ही भला बुरा कह दिया. जिसके बाद भगवान शिव अपने असली रूप में आए और माता पार्वती को विवाह का वरदान दिया.

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