नई दिल्ली : अप्रैल माह का पहला प्रदोष 6 अप्रैल शनिवार यानि आज है. पंचान के अनुसार ये व्रत हर माह दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. अप्रैल में पहली त्रयोदशी तिथि शनिवार को पड़ती है और इसे बहुत खास माना जाता है. यदि त्रयोदशी तिथि शनिवार के दिन पड़ती है तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव शंकर की पूजा की जाती है, लेकिन अगर प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ता है तो उस दिन भगवान शिव के साथ शनि देव की भी पूजा की जाती है. इस व्रत को करने से शनिदेव और शिव शंभु संतुष्ट होंगे और कुंडली से शनि दोष भी खत्म हो जाएगा, तो लिए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में…
बता दें कि इस बार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 06 अप्रैल यानि आज सुबह 10 बजकर 19 मिनट से होने वाली है. हालांकि इसका समापन 07 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 53 मिनट पर होगा. प्रदोष व्रत के दिन संध्याकाल में शिव की पूजा करने का विधान है. ऐसे में आज शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा.
1. शनि प्रदोष व्रत वाले दिन पूजा के लिए प्रदोष काल यानी शाम का समय शुभ माना जाता है.
2. सूर्यास्त से एक घंटे पहले, भक्त स्नान करें और पूजा के लिए तैयार हो जाएं.
3. स्नान के बाद संध्या के समय शुभ मुहूर्त में पूजन आरंभ करें.
4. गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें.
5. फिर शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, आदि अर्पित करें.
6. फिर विधिपूर्वक पूजन और आरती करें .
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