Shani Dev: हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय, कर्म और समय का देवता माना जाता है. वे भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र हैं. काले रंग के शनिदेव कौवे पर सवारी करते हैं और अपनी धीमी गति के कारण ‘शनि’ कहलाते हैं. ज्योतिष में नवग्रहों में से एक शनिदेव सच्चाई, मेहनत और ईमानदारी को प्रिय मानते हैं. जबकि आलस्य और दूसरों को कष्ट देने वालों से नाराज हो जाते हैं. शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने की प्राचीन परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है बल्कि इसके कई आध्यात्मिक और वैज्ञानिक लाभ भी हैं.
पौराणिक कथा के अनुसार रावण ने अपने बल से सभी नवग्रहों को बंदी बना लिया था. शनिदेव को उनके न्यायप्रिय स्वभाव के कारण रावण ने उल्टा लटका दिया. जब हनुमानजी माता सीता की खोज में लंका पहुंचे तो रावण ने उनकी पूंछ में आग लगवा दी. क्रोधित हनुमानजी ने पूरी लंका को अग्नि के हवाले कर दिया. जिससे सभी ग्रह स्वतंत्र हो गए. लेकिन उल्टे लटके होने के कारण शनिदेव मुक्त नहीं हुए.
‘कई वर्षों तक उल्टा लटके रहने से शनिदेव के शरीर में असहनीय पीड़ा थी.’ कथा में उल्लेख है. हनुमानजी ने उनकी इस पीड़ा को शांत करने के लिए उनके शरीर पर सरसों के तेल से मालिश की. इससे शनिदेव को राहत मिली और तभी से यह परंपरा शुरू हुई.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिवार को शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है. यह साढ़े साती और ढैय्या जैसी ज्योतिषीय समस्याओं से राहत दिलाता है. शनिदेव की नाराजगी जीवन में बाधाएं, भय और दुख लाती है. लेकिन सरसों का तेल चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं. इससे व्यक्ति को मानसिक शांति, कार्यों में सफलता और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है. यह एक सरल उपाय है जो शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक है.
सरसों का तेल भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखता है. पुराणों में इसे नकारात्मक शक्तियों को दूर करने वाला माना गया है. पूजा में इसका उपयोग दीपक जलाने के लिए किया जाता है जो घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सरसों का तेल मालिश से रक्त संचार बेहतर होता है. शरीर मजबूत होता है और सर्दी-जुकाम से बचाव होता है. यह त्वचा और बालों के लिए भी लाभकारी है. शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाना केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि जीवन को बेहतर बनाने का एक उपाय है. यह परंपरा शनिदेव की कृपा के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देती है.
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