नई दिल्ली. चैत्र मास की पड़ने वाली अमावस्या को चैत्री अमावस्या के नाम से भी पुकारा जाता है. हिंदू धर्म में हर माह आने वाली अमावस्या तिथि एवं पूर्णिमा तिथि का अत्यंत महत्व है. अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष की शुरुआत हो जाती है जिसमें सभी मांगलिक कृत्य करना शुभ माना गया है. हिंदू नववर्ष यानी की हूंदु विक्रम समवत्सर की शुरुआत भी इसी अमावस्या के पश्चात नवरात्रि के प्रथम दिन से होती है.
2018 में चैत्र अमावस्या 17 मार्च को पड़ रही है. चूंकि अमावस्या की तिथि में संध्या के समय चंद्र दर्शन नहीं हो पा रहा है इसीलिए इसे दर्श अमावस्या भी पुकारा जा रहा है. मोक्ष दायनी इस अमावस्या में विशेषकर चांद्रमा का पूजन किया जाता है. चंद्र देव नव ग्रहों में मन एवं भावनाओं के स्वामी हैं. आज के दिन सच्चे मन से चंद्र देव का पूजन करें, आपकी ज़िन्दगी में ख़ुशियां अवश्य वापस आएंगी.
अमावस्या की तिथि को चंद्र दर्शन ना होने की वजह से इसे घोर रात्रि के नाम से भी पुकारा जाता है एवं प्रदोष काल में चंद्रमा के ना दिखने की वजह से इसे दर्श अमावस्या भी पुकारा जाता है. ऐसा माना जाता है की घोर अंधकार होने की वजह से इस समय नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रवाह ज़्यादा रहता है, इसीलिए तंत्र शस्त्र में इसे अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. 2018 की चैत्र अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है इसीलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनैशचरी अमावस्या भी बोला जाता है. शनि के दोषों से अगर आप पीड़ित हैं. कोर्ट कचहरी के मामलों से दुखी हैं. शनि की साड़ेसाती या ढैय्या से गुजर रहें हैं एवं तकलीफ में हैं, मेहनत अधिक करते हैं फिर भी अच्छे फल नहीं मिलते तो आपको इस अमावस्या को अपने जीवन में सुख एवं शांति लाने के लिए निम्न उपाय अवश्य करने चाहिए.
अमावस्या को क्या करें :
दिन भर उपवास रख कर संध्या के समय, ईश्वर का आवाहन करें एवं अपने पितरों के नाम से घर के बाहर के दीप अवश्य प्रज्वलित करें. रात्रि के समय, आटे से बने हुए एक दिए को, एक मुट्ठी चवाल की ढेरी के ऊपर रख कर उसे प्रज्वलित करें. ध्यान रहे की यह दिया दक्षिण मुखी रखा हो एवं घर के बाहर आंगन में अपने पितरों का स्मरण कर के इसे रखना चाहिए. ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है , पितरों का आशोरवाद मिलता है एवं जीवन में सकरात्मक बदलाव आते हैं.
अमावस्या की तिथि को पूर्वजों की तिथि भी माना गया है एवं इस दिन अपने पितरों के नाम से दान पुण्य करना, तर्पण करना, पिंड दान करना अत्यंत शुभ रहता है. पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया संध्या पश्चात अवश्य प्रज्वलित करें. ध्यान रहे की जब वहाँ से वापस घर की तरफ बढ़ रहे हों तो पीछे मूड कर नहीं देखना चाहिए. थोड़ा सा तेल पीपल की जड़ में भी चढ़ाना चाहिए. शनैशचरी अमावस्या को शनि से सम्बंधित वस्तुएं यानी की सरसों का तेल, लोहा, काले तिल, लौंग, उड़द, नरियाल आदि को अपने से उतारा कर शनि मंदिर पर अर्पित करना चाहिए. इससे शनि से सम्बंधित समस्याओं से मुक्ति मिलती है.
शनि मंदिर पर जा कर छाया दान भी अवश्य करें. यानी की एक कटोरी में थोड़ा सा सरसों के तेल भर कर उसमें अपनी छाया देख कर शनि देव पर चढ़ानी चाहिए. वहीं पर मंदिर में बैठ कर शनि स्त्रोत का जप करें या फिर निम्न लिखित शनि के शांति मंत्र का पाठ 108 बार अवश्य करें.
1. ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनेशचराय नमः”
2. ॐ नीलाभजन समाभासं , रविपुत्रं यमाग्रजं ,
छायामार्तण्ड सम्भूतं , तं नमामि शनैशचरं !!”
इसके पश्चात, शनि देव से अपनी भूल चूक के लिए माफ़ी मांगे एवं उन्हें प्रणाम कर बिना पीछे मुड़े हुए वापस घर आएं. अपनी माता का आशीर्वाद लेकर कोई भी कार्य शुरू करेंगे तो शनि देव तो वैसे ही आप पर प्रसन्न हो जाएंगे. स्त्रियों का सम्मान करना शनि को शुभ करने के अत्यंत अचूक उपाय है. अगर आप चांद्रमा से पीड़ित हैं एवं बहुत ज़्यादा सेंसिस्टिव नेचर है, बहुत जल्दी भावुक हो जाते हैं एवं भावनाओं में बह कर कोई भी निर्णय ले लेते हैं. अगर आप डिप्रेशन जैसी बीमारी या फिर कोई और मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं तो दर्श अमावस्या की रात्रि को आपको चांद्रमा का विशेष पूजन करना चाहिए. शनैशचरी अमावस्या के दिन आप कई और भी उपाय कर सकते हैं, इस वर्ष यह योग कुछ ख़ास ही बना हुआ है.
अगर आप विष योग से पीड़ित हैं यानी की चंद्रमा एवं शनि दोनो ही एक साथ आपकी कुंडली में बैठे हैं तो आपके लिए वैवाहिक जीवन में कष्ट लेकर आते हैं. साथ ही साथ फ़ूड पोईसनिग के भी चांसेस बड़ा देते हैं. पेट में ऐसिड की मात्रा अधिक रहती है एवं यही कई बीमारियों की जड़ बन जाती है. ऐसी अवस्था में आज का दिन आपके लिए उपाय करने का अत्यंत शुभ दिन है. चंद्र एवं शनि की वस्तुओं का दान अवश्य करें. रूद्रअष्टकम का पाठ अवश्य करें. एक नारियल को अपने से वार कर उसे शिव मंदिर पर चढ़ा दें. शुभ लाभ मिलेगा.
अगर राहु से ग्रस्त हैं या फिर आपकी कुंडली में काल सर्प दोष है तो शिव जी पर चांदी या फिर चंदन के बने सर्प चड़ाएं. इससे आपको काफ़ी राहत मिलेगी शिव मंदिर में जा कर शिव लिंग पर जल का अभिषेक करें. शिव लिंग के सम्मुख बैठ कर महामृत्युंजय का पाठ करना भी अत्यंत शुभ परिणाम लेकर आता है. फिर आप किसी भी विपत्ति में क्यों ना पड़ें हों भोले नाथ की कृपा से सभी से मुक्त हो जाते हैं.
शनि अमावस्या शुभ मुहूर्त
शनि अमावस्या तिथि शुरू: November 17 at 3:29 pm
शनि अमावस्या तिथि समाप्त: November 18 at 5:11 pm
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