नई दिल्ली : त्योहारी सीजन की शुरुआत अगस्त से मानी जाती है. जहां सावन के शुरू होते ही कई भारतीय त्योहारों की लड़ी लग जाती है. सावन के बाद हिंदू धर्म के कई महत्वपूर्ण त्यौहार पड़ते हैं और ये सिलसिला अगल कई महीनों तक जारी रहता है. आगे कई ऐसे पर्व आने वाले हैं जिनके […]
नई दिल्ली : त्योहारी सीजन की शुरुआत अगस्त से मानी जाती है. जहां सावन के शुरू होते ही कई भारतीय त्योहारों की लड़ी लग जाती है. सावन के बाद हिंदू धर्म के कई महत्वपूर्ण त्यौहार पड़ते हैं और ये सिलसिला अगल कई महीनों तक जारी रहता है. आगे कई ऐसे पर्व आने वाले हैं जिनके लिए लोग पूरे साल इंतज़ार करते हैं. फिलहाल हम सितंबर महीने में पड़ने वाले त्योहारों और पर्वों की बात करते हैं. चलिए आपको बताते हैं इस महीने के त्योहारों की पूरी लिस्ट.
सितंबर के महीने की शुरूआत ही गणेश चतुर्थी से हुई है. जहां व्रत-त्योहार की दृष्टि से यह महीना बेहद खास है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस महीने गणेश उत्सव, परिवर्तिनी एकादशी, अनंत चतुर्दशी और नवरात्रि जैसे कई व्रत-त्योहार पड़ रहे हैं जिसके साथ ही इस महीने पितृ पक्ष भी शुरू होने वाले हैं. बता दें, पितृ पक्ष में पूर्वजों के निमित्त तर्पण किया जाता है. चलिए जानते हैं सभी तारीखें.
01 सितंबर, गुरुवार- ऋषि पंचमी, ललिता षष्ठी
02 सितंबर, शुक्रवार- सूर्य षष्ठी, संतान सप्तमी
04 सितंबर, रविवार – श्री राधाष्टमी
05 सितंबर, सोमवार – शिक्षक दिवस
07 सितंबर, बुधवार – कल्कि द्वादशी, भुवनेश्वर जयंती
08 सितंबर गुरुवार – प्रदोष व्रत, ओणम
09 सितंबर, शुक्रवार- अनंत चतुर्दशी, गणपति बप्पा विसर्जन
10 सितंबर, शनिवार- पितृ पक्ष आरंभ, श्राद्ध प्रारम्भ, पूर्णिमा व्रत
11 सितंबर, रविवार- आश्विन माह आरंभ
18 सितंबर, शनिवार- जीवित पुत्रिका व्रत
21 सितंबर, बुधवार- इंदिरा एकादशी
23 सितंबर, शुक्रवार- प्रदोष व्रत
25 सितंबर, रविवार – सर्वपितृ अमावस्या, श्राद्ध समाप्त, मासिक शिवरात्रि
26 सितंबर, शुक्रवार- शारदीय नवरात्रि आरंभ, घटस्थाना, अग्रसेन जयंती
29 सितंबर, गुरुवार- विनायक चतुर्थी
भाद्रपद की पूर्णिमा और अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा के बीच के समय को ही पितृ पक्ष कहा जाता है इस बीच लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडों को दान अर्पित करते हैं.
सितंबर माह में हिंदुओं का बड़ा त्योहार माना जाने वाला शारदीय नवरात्र इस बार 26 सितंबर से शुरू हो रहा है. नवरात्र के दौरान 9 दिन की अवधि तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है. इसके अंत में कन्या भोज भी करवाया जाता है.
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