नई दिल्ली: महाभारत के युद्ध में घटोत्कच एक ऐसा वीर योद्धा था, जिसने अपने अद्भुत बल और शक्ति से कौरव सेना को भयभीत कर दिया था। घटोत्कच भीम और राक्षसी हिडिंबा का पुत्र था और उसे अलौकिक शक्तियां प्राप्त थीं। उसका जन्म ही महाभारत के युद्ध में पांडवों को सहयोग देने के उद्देश्य से हुआ था। जब युद्ध के मैदान में घटोत्कच ने प्रवेश किया, तो उसका विशालकाय रूप देखकर कौरवों की सेना भय से कांप उठी। भीम के समान बलशाली घटोत्कच ने युद्ध में असाधारण साहस का प्रदर्शन किया, जिससे कौरव सेना में भगदड़ मच गई और वह उलटे पांव भागने पर मजबूर हो गई।
घटोत्कच राक्षस कुल से था। रात के समय में उसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती थी, जिससे वह और भी खतरनाक हो जाता था। उसके पास मायावी शक्ति भी थी, जिससे वह कई रूप बदल सकता था, अपने शरीर को किसी भी आकार में ढाल सकता था और कौरवों पर अचानक आक्रमण कर सकता था। घटोत्कच ने युद्ध के मैदान में कौरवों पर भयानक रूप से प्रहार किए और कई योद्धाओं को मौत के घाट उतार दिया था।
महाभारत के युद्ध में घटोत्कच की मायावी शक्तियों का कोई भी योद्धा मुकाबला नहीं कर पा रहा था। यहां तक की खुद दुर्योधन भी उसकी शक्तियों के आगे कमजोर पड़ गया था। घटोत्कच की ताकत और उसकी मायावी शक्तियों से कौरवों की सेना पूरी तरह से हताश हो गई थी। जब अर्जुन का अंत करने के लिए कर्ण को अमोघ शक्ति का वरदान मिला, जिसे वह केवल एक बार ही इस्तेमाल कर सकता था, तो दुर्योधन ने कर्ण से उसे अर्जुन पर प्रयोग करने के लिए कहा था। लेकिन घटोत्कच के अत्यधिक प्रहारों से परेशान होकर और कौरव सेना की रक्षा करने के लिए दुर्योधन ने कर्ण को वह अमोघ शक्ति को घटोत्कच पर चलाने के लिए कहा। जिसके बाद कर्ण ने घटोत्कच पर पर प्रहार किया और उसका वध किया।
अमोघ शक्ति के प्रयोग से घटोत्कच की मृत्यु हुई, लेकिन उसकी मृत्यु भी कौरवों के लिए विनाशकारी साबित हुई। जैसे ही घटोत्कच मरा, उसके शरीर का विशालकाय रूप कौरव सेना पर गिर पड़ा, जिससे बड़ी संख्या में सैनिकों की मौत हो गई। घटोत्कच ने अपनी वीरता से महाभारत के युद्ध में अपनी अनोखी छाप छोड़ी और पांडवों को अत्यधिक लाभ पहुंचाया।
घटोत्कच की मृत्यु ने युद्ध की दिशा को पांडवों के पक्ष में मोड़ दिया। कर्ण की वह अमोघ शक्ति, जिसे वह अर्जुन के विरुद्ध प्रयोग कर सकता था, घटोत्कच पर प्रयोग हो जाने के कारण कर्ण के पास अर्जुन को मारने का कोई और सटीक उपाय नहीं बचा। घटोत्कच ने अपनी जान देकर पांडवों के विजय के मार्ग को और मजबूत कर दिया।
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