Sawan Shivratri 2019: मंगलवार 30 जुलाई को शिवरात्रि पर होगा आदिदेव महादेव का जलभिषेक, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि समेत सारी जानकारी

Sawan Shivratri 2019: सावन शिवरात्रि इस साल 30 जुलाई 2019 यानी कल को है. मंगलवार को पड़ने वाली इस शिवरात्रि का विशेष महत्व है. इस दिन कावंडिए भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं शुभ मुहूर्त, पूजा विधि समेत सारी जानकारी

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Sawan Shivratri 2019: मंगलवार 30 जुलाई को शिवरात्रि पर होगा आदिदेव महादेव का जलभिषेक, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि समेत सारी जानकारी

Aanchal Pandey

  • July 29, 2019 7:19 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. सावन शिवारात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. इस साल सावन शवरात्रि 30 जुलाई यानी मनाई जा रही है. इस बार सावन शिवरात्रि पर अध्भुत संयोग बन रहा है, सावन में मंगलवार के दिन मंगला गौरी की पूजा होती है. इसके साथ ही ये दिन रुद्रवतार हनुमान जी की पूजा के लिए भी समर्पित है. कहा जाता है इस दिन शिव जी की सच्चे मन से पूजा करने, शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

शिवभक्त पूरे साल सावन शिवरात्रि की प्रतीक्षा करते हैं. सावन का महीना आते ही भक्त पैदल ही कांवड़ लेने के लिए हरिद्वार जाते हैं और कई किलोमीटर की पैदल यात्रा कर कांवड़ लेकर आत हैं. शिवरात्रि के दिन कावंडिए भगवान शिव का जलभिषेक करते हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से पापों से मुक्ति होती है और कुवारें लोगों को मनचाहा वर या वधु मिलता है.

सावन शिवरात्रि  2019 की तिथि और शुभ मुहूर्त: Shivratri 2019 Date And Subh Muhurat

चतुर्दशी तिथि 30 जुलाई 2019 को दोपहर 02 बजकर 49 मिनट से शुरू हो रही है.

चुतुर्दशी तिथि 31 जुलाई 2019 को सुबह 11 बजकर 57 मिनट तक रहेगा.

निशिथ काल पूजाछ 31 जुलाई 2019 को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगा.

पारण का समय: 31 जुलाई 2019 सुबह 05 बजकर 46 मिनट से सुबह 11 बजकर 57 मिनट तक रहेगा.

सावन शिवरात्रि 2019 पूजा विधि:  Shivratri 2019 Puja Vidhi

शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें. अब घर के मंदिर या शिवालय में जाकर शिवलिंग पर पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गन्ने का रस या चीनी का मिश्रण) चढ़ाएं. अब ऊँ नम: शिवाय का उच्चारण करते हुए शिवलिंग पर एक एक करके बेल पत्र, फल और फूल चढ़ाएं. सभी बेल पत्र चढ़ाने के बाद गुड़ से बना पुआ, हलवा और कच्चे चने का भोग लगाएं और सभी को प्रसाद बाटें.

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