Sawan Shivratri 2018: सावन की शिवरात्रि में भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक का अलग ही महत्व है. सावन में देशभर में कांवड़िये भगवान भोलेनाथ को खुश करने के लिए जल लाते हैं. जलाभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. भोलेनाथ के साथ मां पार्वती की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है.
नई दिल्ली. सावन का महीना धार्मिक महत्व से बड़ा ही पवित्र माना जाता है. सावन मुख्य तौर पर भगवान शिव की वंदना का महीना माना जाता है. कांवड़िये बाबा धाम आदि जगहों से पैदल कांवड़ लाकर शिवरात्रि पर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. इसे पुण्यकर्म माना गया है. माना जाता है कि सावन की शिवरात्रि को सच्चे मन से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है. इस बार की शिवरात्रि 9 अगस्त (गुरुवार) को पड़ रही है.
धर्मगुरूओं का कहना है कि इस साल शिवरात्रि पर एक शुभ संयोग बन रहा है. शुभ संयोग में सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने से शुभ फल प्राप्त होगा. धर्मगुरूओं के मुताबिक, साल में 12 शिवरात्रि होती हैं. लेकिन इनमें से महाशिवरात्रि और सावन की शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. अगर कोई महिला या युवती 16 सोमवार के बाद शिवरात्रि का व्रत रखती है तो उसके कष्टों का निवारण होता है.
नौ अगस्त को शिवरात्रि के अलावा प्रदोष व्रत भी है. पुराणों में कहा गया है कि त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस दिन भोलेनाथ और पार्वती का व्रत रखा जाता है. दोनों का पूजन इस दिन शुभ माना जाता है. प्रदोष काल में मां पार्वती और भोलेनाथ का व्रत रखने से सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है.
जानकारों के मुताबिक, नौ अगस्त को शाम 7.06 बजे सूर्यास्त से 9.01 बजे तक प्रदोष का समय है. प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करना अति लाभकारी है. रात 10.45 बजे त्रयोदशी की समाप्ति है. जलाभिषेक के लिए नौ अगस्त को सुबह चार से 8.45 का समय शुभ माना गया है.