September 8, 2024
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Sawan 2024: भगवान शिव को करना है खुश, तो करें ये उपाए

  • WRITTEN BY: Shiwani Mishra
  • LAST UPDATED : May 22, 2024, 10:00 am IST

नई दिल्ली: हिंदू धर्म में श्रावण मास का विशेष धार्मिक महत्व है. ये महीना साल का सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस माह को श्रावण माह या सावन माह भी कहा जाता है. श्रावण के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की गहरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा की जाती है. सावन का ये महीना दो असामान्य घटनाओं से भरा है. सबसे पहले इस बार श्रावण मास की शुरुआत पवित्र सोमवार से हो रही है. इसके बाद इस बार सबन में कुल 5 सोमवार होंगे, तो आइए जानें इसके बारे में…..

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श्रावण की पूजा विधि

1. श्रद्धालु सुबह जल्दी उठकर पूजा शुरू करने से पहले स्नान करें.
2. भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा रखें, दीप जलाएं और प्रार्थना करें.
3. शिव चालीसा, शिव तांडव स्तोत्र और श्रावण मास कथा का पाठ करें.
4. शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग पर पंचामृत (दूध, दही, शक्कर, शहद और घी) चढ़ाएं.
5. शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और फूलों और बेलपत्र से सजाएं.
6. बेलपत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है, भगवान शिव को मिठाई का भोग लगाएं.
7. अंत में भक्तों के माथे पर चंदन का लेप लगाएं और इत्र छिड़कें.

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भगवान शिव

पूजा करते समय इन 3 मंत्रों का करें जाप

1. ॐ नमः शिवाय !!
2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ||
3. कर्पूर गौरं करुणावतारं संसार सारं, भुजगेंद्र हारम | सदा वसंतं हृदये, अरविंदे भवं भवानी सहितं नमामि ||

जानें श्रावण मास का महत्व

हिंदू धर्म के ग्रंथों के मुताबिक समुद्र मंथन के समय निकले सारे जहर को भगवान शिव ने पी लिया था. ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि वो विष इतना खतरनाक था कि वो पूरी दुनिया को खत्म कर सकता था. भगवान शिव ने सारे विष को पीकर दुनिया और जीव जंतुओं को बचा लिया, लेकिन वो जहर उनके गले में ही रह गया.

इसी वजह से उन्हें नीलकंठ कहा जाता है, इसके बाद सभी देवी-देवताओं और राक्षसों ने भगवान शिव को गंगाजल और दूध पिलाया ताकि जहर का असर कम हो सके. यही कारण है कि श्रावण में लोग दूर-दूर से गंगाजल लाकर भगवान शिव को चढ़ाते हैं.

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