नई दिल्ली: अखंड सौभाग्य प्रदान करने वाला सौभाग्य सुंदरी व्रत इस बार 30 नवंबर को मनाया जाएगा. मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को सौभाग्य सुंदरी व्रत रखा जाता है. तृतीया तिथि 29 नवंबर दोपहर 1 बजकर 57 पर शुरू हुआ है और 30 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 25 मिनट पर समाप्त […]
नई दिल्ली: अखंड सौभाग्य प्रदान करने वाला सौभाग्य सुंदरी व्रत इस बार 30 नवंबर को मनाया जाएगा. मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को सौभाग्य सुंदरी व्रत रखा जाता है. तृतीया तिथि 29 नवंबर दोपहर 1 बजकर 57 पर शुरू हुआ है और 30 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के मुताबिक यह व्रत 30 नवंबर को है. सुहागिन महिलाएं इस दिन पति की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती है. इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की विधिवत पूजा की जाती है।
वैवाहिक जीवन में मधुरता और सौभाग्य लाने के लिए सौभाग्य सुंदरी व्रत रखा जाता है. इसके अलावा इस व्रत को पति और संतान की सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं रखती हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को जो महिला रखती हैं उसे सुखी जीवन प्राप्त होता है. इसके अलावा जिन अविवाहित कन्याओं की कुंडली में विवाह दोष हो तो इस व्रत को वह भी करके दोष से मुक्त हो सकती है।
सुबह संकल्प लेकर महिलाएं तीज का व्रत शुरू करें. इस दिन स्नान के बाद महिलाओं को नए शुभ रंगों के परिधान पहनने चाहिए. साथ ही महिलाएं संपूर्ण श्रृंगार करें. इसके बाद एक चौकी पर पीले या लाल रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर दें।
मां पार्वती को सोलह श्रृंगार करके सिंदूर, माला, कुमकुम, रोली, फूल के साथ भोग लगाएं। इसके बाद एक पान में 2 हरी इलाची, 1 बताशा, 1 रुपए, 2 सुपारी और 2 लौंग रखकर चढ़ा दें। इसके साथ ही भगवान शिव को सफेद रंग का चंदन, फूल, माला, अक्षत चढ़ाकर भोग लगा दें. इसके बाद घी का दीपक जलाकर भगवान् की आरती करें।
“ॐ उमाये नमाः ‘देवी देइ उमे गौरी त्राहि मांग करुणानिधे माम् अपरार्धा शानतव्य भक्ति मुक्ति प्रदा भव’
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