महाभारत में कई ऐसी कहानियां हैं, जो किसी भी व्यक्ति को हैरान कर सकती हैं। आज हम आपको राजा शांतनु की दूसरी पत्नी सत्यवती के जन्म की कहानी बताने जा रहे हैं, जो बेहद रोचक है। सत्यवती को ज्यादातर लोग मछुआरों के मुखिया दास की बेटी के तौर पर जानते होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सत्यवती असल में एक राजा की बेटी थीं।
नई दिल्लीः महाभारत में कई ऐसी कहानियां हैं, जो किसी भी व्यक्ति को हैरान कर सकती हैं। आज हम आपको राजा शांतनु की दूसरी पत्नी सत्यवती के जन्म की कहानी बताने जा रहे हैं, जो बेहद रोचक है। सत्यवती को ज्यादातर लोग मछुआरों के मुखिया दास की बेटी के तौर पर जानते होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सत्यवती असल में एक राजा की बेटी थीं।
कहानी के अनुसार एक बार राजा सुधन्वा जंगल में शिकार करने गए थे। इसी बीच उनकी पत्नी रजस्वला हो गईं और उनके मन में गर्भधारण की इच्छा जागी। तब रानी ने एक पक्षी के जरिए राजा तक ये संदेश पहुंचाया। राजा ने एक पत्ते में अपना वीर्य दिया और पक्षी से कहा कि वो इसे रानी तक पहुंचा दे। लेकिन इसी बीच पक्षी से वो वीर्य नदी में गिर गया।
उस नदी में एक मछली ने उस वीर्य को निगल लिया। वो मछली असल में एक अप्सरा थी, लेकिन ब्रह्मा जी के श्राप के कारण मछली बन गई थी। वो मछली गर्भवती हो गई और एक दिन उसे एक मछुआरे ने पकड़ लिया। विशाल होने के कारण वह मछली को राजा सुधन्वा के दरबार में ले गया। जब मछली का पेट चीरा गया तो उसमें से एक लड़का और एक लड़की निकली। राजा ने लड़के को अपने पास रख लिया और लड़की को मछुआरे को सौंप दिया, क्योंकि लड़की से मछली की गंध आ रही थी।
मछुआरे ने लड़की को बड़े प्यार और देखभाल से पाला। जैसे-जैसे वह बड़ी होती गई, वह और भी सुंदर होती गई। मछुआरों की बस्ती में रहने के कारण उसका नाम मत्स्यगंधा पड़ गया। बाद में ऋषि पराशर ने मत्स्यगंधा को यह वरदान दिया कि उसके शरीर से अद्भुत सुगंध निकलेगी, जिसके कारण उसका नाम सत्यवती पड़ा।
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