Sankashti Chaturthi Vrat 2019: हिंदू पंचाग के अनुसार, जनवरी महीने की पहली संकष्टी चतुर्थी 2019 24 जनवरी को पड़ रही है. इस दिन भगवान गणेश के नाम का व्रत किया जाता है. इस बार चतुर्थ तिथि गुरुवार को पड़ रही है जो बेहद शुभ संयोग माना जाता है.
नई दिल्ली. Sankashti Chaturthi Vrat 2019: संकष्टी चतुर्थी 2019 का व्रत हिंदू पंचाग के अनुसार हर महीने की चतुर्थी तिथि पर किया जाता है. यह व्रत गणेश भगवान को समर्पित कहा गया है. 24 जनवरी गुरुवार को नए साल की पहली संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है. गुरुवार को संकट चतुर्थी का संयोग काफी शुभ माना गया है. गुरुवार के दिन संकष्टी चतुर्थी पड़ने का संयोग काफी ज्यादा शुभ माना जाता है. इसे तिलकुट चतुर्थी, सकट चौक, गणेश चतुर्थी जैसे कई अलग नामों से जाता है.
हिंदू पंचाक के अनुसा, प्रत्येक माह में 2 बार चतुर्थी पड़ती है. अमावस्या के बाद आनेवाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा गया है वहीं पूर्णिमा के बाद पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विधि विधान से गणेश के पूजन से हर तरह परेशानी दूर हो जाती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
संकष्टी चतुर्थी व्रत 2019 (Sankashti Chaturthi Vrat 2019) व्रत विधि
इस दिन सुबह नहाने के बाद महिलाएं व्रत का संकल्प लेकर पूरे दिन निर्जल व्रत करती हैं. संध्या में विधि अनुसार बप्पा की पूजा के बाद चांद के निकलने पर नीचे की ओर देखकर अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण करती हैं.
संकष्टी चतुर्थी व्रत 2019 (Sankashti Chaturthi Vrat 2019) शुभ मुहूर्त
चंद्रमा को अर्घय देने के बाद ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है. 24 जनवरी गुरुवार रात 9 बजकर 31 मिनट पर चंद्रमा का उदय होगा.
संकष्टी चतुर्थी व्रत 2019 ( Sankashti Chaturthi Vrat 2019) पूजा विधि
सुबह उठकर सबसे स्नान फिर साफ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प करें.गणेश जी के पूजन के लिए इस दिन घर के ईशानकोण में एक चौकी पर लालअथवा पीला कपड़ा बिछाकर बप्पा की प्रतिमा स्थापित करें. प्रतिमा स्थापित होने के बाद भगवान पर अक्षत, जल, दूर्वा, पुष्प, धूप और पान-सुपारी आदि अर्पित करें. इसके बाद ‘ओम गं गणपतये नम:’ मंत्र का जाप करें और गणेश जी को प्रणाम करें. फिर एक थाली या केले के पेड़े के पत्ता लेकर उसपर रोली से एक त्रिकोण बनाएं. इस त्रिकोण के आगे हिस्से पर घी का दीप रखें और व्रत कथा पढ़ना शुरू करें और श्रीगणेश की आरती उतारें. गणश जी के पूजन के बाद चंद्रमा को शहद चंदन, रोली युक्त दूध से अर्घ्य देकर व्रत को पूरा करें.
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