नई दिल्ली. आज देश भर में संकटा चतुर्थी व्रत पूजा मनाई जा रही हैं. इस व्रत को तिलकूट चतुर्थी, संकटा चौथ, तिलकुट चौथ व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन महिला पूरा दिन व्रत करती हैं और रात को चांद देखने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं. इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान गणेश को तिल के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है. तिल संकटा चतुर्थी पर हर साल की तरह सुप्रसिद्ध श्री गणेश देवस्थानम् में पूजा अर्चना के साथ तिल के लड्डुओं का भोग लगाने की परंपरा है. इस दिन इस मंदिर में सूर्योदय के बाद गणेश भगवान का जलाभिषेक करवाने का रिवाज भी है. बताया जाता है कि इस दिन सरबसे पहले करीब 3 दशक पहले इस मंदिर के कृष्णकुमार पुरोहित ने इस परंपरा की शुरुआत की थी.
संकटा चतुर्थी को तिल चतुर्थी भी कहा जाता है. इस दिन पूरे भाव श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है. ऐसे करने से सभी प्रकार के दुख दर्द संकट हर्ता हर लेते हैं. व्रत को करने के पीछे मान्यता ये है कि घर में होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है. पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में माताएं इसे बड़े जोर-शोर से मनाती हैं संकटा चतुर्थी के विशेष अवसर पर गौरी जी का विशेष तौर पर पूजा कर उन्हें 16 श्रृंगार अर्पित किया जाता है. संकटा चतुर्थी के मौके पर साल भर में आज के दिन इस मंदिर के द्वारा पूरे दिन खुले रहते हैं. श्रद्धालुओं के सुख सुविधाओं के लिये भी विशेष प्रबंध किये जाते हैं.
संकष्टी चतुर्थी 2018 व्रत कथा: माताएं अपने बच्चों की सलामती के लिये रखती हैं ये व्रत
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