अध्यात्म

Sakat Chauth 2021: जानिए सकट चौथ 2021 का शुभ मुहूर्त, महत्व और कथा

नई दिल्ली : इस साल सकट चौथ का त्योहार 31 जनवरी को मनाया जा रहा है. इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश का पूजन किया जाता है. यह त्योहार हर साल माघ मास की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. साथ ही इसे संकष्ठी चतुर्थी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन को बेहद खास माना गया है, क्योंकि इस दिन सभी माताएं अपने पुत्र की सलामती और लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन तिलकूट का प्रसाद बनाकर भगवान गणेश को भोग लगाया जाता है.

सकट चौथ 2021 का शुभ मुहूर्त

सकट चौथ व्रत तिथि- जनवरी 31, 2021 (रविवार)
चतुर्थी तिथि शुरू – जनवरी 31, 2021 को 20:24 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – फरवरी 01, 2021 को 18:24 बजे

सकट चौथ का महत्व

इस दिन सभी माताएं गणेश जी की पूजा कर भगवान को भोग लगाकर कथा सुनती हैं. शाम को चंद्रमा के अर्घ्य देकर ही गणेश जी का व्रत संपन्न होता है. इस दिन कई जगह तिलकूट का पहाड़ बनाकर उसको भी काटे जाने की परंपरा है. सकट चौथ के दिन गणेश जी के संकटमाशक का पाठ करना इस दिन उत्तम रहता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश जी का ध्यान करने से जीवन के संकट कम होते हैं. इसके अलावा सकट चौथ के दिन ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करना भी फलदायी बताया गया है.

सकट चौथ की व्रत कथा

किसी नगर में एक कुम्हार रहता था. एक बार जब उसने बर्तन बनाकर आंवां लगाया तो आंवां नहीं पका. परेशान होकर वह राजा के पास गया और बोला कि महाराज न जाने क्या कारण है कि आंवा पक ही नहीं रहा है. राजा ने राजपंडित को बुलाकर कारण पूछा. राजपंडित ने कहा, ”हर बार आंवा लगाते समय एक बच्चे की बलि देने से आंवा पक जाएगा.” राजा का आदेश हो गया. बलि आरम्भ हुई. जिस परिवार की बारी होती, वह अपने बच्चों में से एक बच्चा बलि के लिए भेज देता. इस तरह कुछ दिनों बाद एक बुढि़या के लड़के की बारी आई. बुढि़या के एक ही बेटा था तथा उसके जीवन का सहारा था, पर राजाज्ञा कुछ नहीं देखती. दुखी बुढ़िया सोचने लगी, ”मेरा एक ही बेटा है, वह भी सकट के दिन मुझ से जुदा हो जाएगा.” तभी उसको एक उपाय सूझा. उसने लड़के को सकट की सुपारी तथा दूब का बीड़ा देकर कहा, ”भगवान का नाम लेकर आंवां में बैठ जाना. सकट माता तेरी रक्षा करेंगी।”

सकट के दिन बालक आंवां में बिठा दिया गया और बुढि़या सकट माता के सामने बैठकर पूजा प्रार्थना करने लगी. पहले तो आंवा पकने में कई दिन लग जाते थे, पर इस बार सकट माता की कृपा से एक ही रात में आंवा पक गया. सवेरे कुम्हार ने देखा तो हैरान रह गया.आंवां पक गया था और बुढ़िया का बेटा जीवित व सुरक्षित था. सकट माता की कृपा से नगर के अन्य बालक भी जी उठे. यह देख नगरवासियों ने माता सकट की महिमा स्वीकार कर ली. तब से आज तक सकट माता की पूजा और व्रत का विधान चला आ रहा है.

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Aanchal Pandey

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