नई दिल्लीः महाभारत के आदि पर्व में नागों का उल्लेख किया गया है। आज हम आपको बताएंगे कि धरती पर सांपों का जन्म कैसे हुआ। महर्षि कश्यप की 13 पत्नियाँ थीं, उनमें से एक कद्रू थी। कद्रू और कश्यप ऋषि की संतान के रूप में नागों का जन्म हुआ। कश्यप ऋषि की दूसरी पत्नी का नाम था विनता। गरुड़ विनता के पुत्र हैं। बाद में गरुड़ भगवान विष्णु के वाहन बन गए।
एक बार कद्रू ने कहा, ‘महर्षि, मैं एक हजार वीर और शक्तिशाली पुत्रों की मां बनना चाहती हूं।’ जब विनता को यह बात पता चली तो उसने महर्षि से वरदान मांगा कि ‘हे प्रभु, मुझे एक ही पुत्र चाहिए, लेकिन वह पुत्र इतना शक्तिशाली होना चाहिए कि वह कद्रू के सभी पुत्रों का नाश कर सके।’ महर्षि ने दोनों पत्नियों को उनकी इच्छानुसार वरदान दिए। फलस्वरूप कद्रू को एक हजार अंडे दिए और विनता ने गरुड़ को जन्म दिया। बाद में कद्रू के अंडों से सांप निकले और इस तरह नाग वंश की उत्पत्ति हुई। इन सांपों का उल्लेख पुराणों में इस प्रकार मिलता है।
वासुकी नाग- धर्म शास्त्रों में वासुकी को सर्वश्रेष्ठ नाग माना गया है। वासुकी को नागों का राजा कहा जाता है। भगवान शिव ने वासुकी को अपने गले में धारण किया हुआ है। वासुकी की पत्नी का नाम शतशिपा है।
शेषनाग- शेषनाग की गिनती सबसे शक्तिशाली नागों में होती है। शेषनाग को अनंत के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग पर विराजमान हैं।
तक्षक नाग- तक्षक भी आठ नागों में से एक है। धर्म शास्त्रों के अनुसार एक बार श्रृंगी ऋषि के श्राप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डस लिया था। जिसके बाद राजा के बेटे ने गुस्से में आकर नाग यज्ञ का आयोजन किया। जैसे ही ब्राह्मणों ने अग्नि के सामने तक्षक की बलि दी, ऋषि आस्तिक ने यज्ञ रोक दिया। तक्षक नाग के प्राण बच गए।
कालिया नाग- भगवान श्री हरि विष्णु ने कालिया नाग के फन पर नृत्य किया था। कालिया नाग अपनी पत्नियों के साथ यमुना नदी में रहता था।
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