रोहिणी व्रत 2018: ये है व्रत की विधि और उद्यापन का विधान

Rohini Vrat 2018: 24 फरवरी को रोहिणी व्रत मनाया जाने वाला है. रोहिणी व्रत रोहणी नक्षत्र के दिन रखा जाता है. यह व्रत जैन धर्म के लोगों द्वारा रखा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत महिलाएं पति की लंबी उम्र और घर में सुख एवं समृद्धि के लिए करती हैं.

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रोहिणी व्रत 2018: ये है व्रत की विधि और उद्यापन का विधान

Aanchal Pandey

  • February 22, 2018 12:02 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. रोहिणी व्रत रोहणी नक्षत्र के दिन रखा जाने वाला व्रत है, रोहिणी व्रत को वर्ष भर मनाया जाता है. 27 नक्षत्रों में रोहिणी नक्षत्र के समय चंद्रमा उच्च का रहता है. ऐसे समय में कलात्मक कार्य, लेखन कार्य, सामाजिक कृत्य बहुत शुभ माने जाते हैं. जैन समुदाय में विशेषकर इस व्रत को रखा जाता है. महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु, सुख एवं समृद्धि के लिए इस व्रत को रखती हैं. रोहिणी देवी, जो की चंद्रमा की सबसे प्रिय पत्नी थी जिनका पूजन आज के दिन किया जाता है. रोहणी व्रत में भगवान वासपूज्य की पूजा की जाती है. इस व्रत को 3 साल, 5 साल, 7 साल के लिए किया जाता है. यह व्रत साल में एक बार नही बल्कि हर महीने आता है, यह हर 27 दिन बाद आता है जिसके कारण एक साल में 12 से 13 रोहणी व्रत होते है.

रोहिणी नक्षत्र की उदय काल तिथि से यह व्रत रखें, भगवान वासपूज्य को वस्र, फूल, धूप दीप आदि से पूजें एवं मार्गशीर्ष नक्षत्र में व्रत का पारण करें. यह व्रत अगर शुरू करते हैं तो उसे कम से कम 5 वर्ष 5 माह अवश्य करना चाहिए, अन्यथा 7 वर्ष तक करने के पश्चात ही उद्यापन का विधान है.इस दिन जैन समुदाय के लोग भगवान वासपूज्य की पूजा करते हैं. व्रत उद्यापन के दिन दिन भर व्रत रख कर, भगवान वासपूज्य के दर्शान के पश्चात, दान पुण्य कर, ग़रीबों को भोजन करवा कर व्रत तोड़ा जाता है एवं उद्यापन किया जाता है.

इस व्रत को करने से घर की सभी कंगाली दूर हो जाती है घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है. व्रत को करने से सभी गलतियां भी माफ हो जाती है. जैन धर्म जब सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है उस दिन व्रत किया जाता है.

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