अध्यात्म

रामचरितमानस-वाल्मीकि रामायण की अनसुनी बातें, जो अब आप भी जानें

नई दिल्ली: मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को समर्पित दो ग्रंथ हैं, पहला तुलसीदास द्वारा रचित ‘श्री रामचरितमानस’ और दूसरा वाल्मीकि द्वारा रचित ‘रामायण’। दोनों ही सटीक और प्रामाणिक माने जाते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दोनों ही ग्रंथों यानी श्री रामचरितमानस और रामायण में कुछ बातें ऐसी हैं जो अलग-अलग हैं। वहीं, कुछ बातें ऐसी भी हैं जिनका वर्णन सिर्फ वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में ही मिलता है। तो आइए जानते हैं क्या हैं ये अनसुनी बातें?

श्री राम की आयु और भरत का उल्लेख

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब भगवान श्री राम वनवास गए थे, तब उनकी आयु करीब 27 वर्ष थी। राजा दशरथ श्री राम को वनवास नहीं भेजना चाहते थे, लेकिन वे अपने वचन से बंधे हुए थे। जब उन्हें श्री राम को रोकने का कोई उपाय नहीं सूझा तो उन्होंने श्री राम से यहां तक ​​कह दिया कि आप मुझे बंदी बना लें और खुद राजा बन जाएं। भरत को अपने पिता राजा दशरथ की मृत्यु का आभास पहले ही एक स्वप्न के माध्यम से हो गया था। स्वप्न में उन्होंने राजा दशरथ को काले वस्त्र पहने हुए देखा। पीले रंग की स्त्रियां उन पर आक्रमण कर रही थीं। स्वप्न में राजा दशरथ लाल फूलों की माला पहने हुए और लाल चंदन लगाए हुए गधे द्वारा खींचे जा रहे रथ पर बैठे हुए थे और तेजी से दक्षिण (यम की दिशा) की ओर जा रहे थे।

रावण के श्राप की ऐसी है कहानी

श्री रामचरितमानस के अनुसार सीता स्वयंवर के समय भगवान परशुराम वहां आए थे। जबकि रामायण के अनुसार जब श्री राम सीता से विवाह कर अयोध्या लौट रहे थे तो परशुराम वहां आए और श्री राम से अपने धनुष पर बाण चढ़ाने को कहा। श्री राम के बाण चढ़ाने के बाद परशुराम वहां से चले गए। वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से कहीं जा रहा था, तभी उसकी नजर एक सुंदर स्त्री पर पड़ी, उसका नाम वेदवती था। वह भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। रावण ने उसके बाल पकड़े और उसे अपने साथ चलने को कहा। उस तपस्वी ने उसी क्षण अपना शरीर त्याग दिया और रावण को श्राप दे दिया। उसने रावण को श्राप दिया कि एक स्त्री के कारण ही तेरी मृत्यु होगी। वही स्त्री अगले जन्म में सीता के रूप में पैदा हुई। वाल्मीकि रामायण में इसका उल्लेख नहीं है।

सीता स्वयंवर का कोई जिक्र नहीं

श्री रामचरितमानस के अनुसार भगवान श्री राम ने सीता स्वयंवर में शिव धनुष उठाया था और प्रत्यंचा खींचते समय वह टूट गया, जबकि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में सीता स्वयंवर का कोई उल्लेख नहीं है। रामायण के अनुसार भगवान राम और लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिला पहुंचे थे। विश्वामित्र ने स्वयं राजा जनक से श्री राम को वह शिव धनुष दिखाने के लिए कहा था। तब भगवान श्री राम ने उस धनुष को मौज-मस्ती के लिए उठाया और प्रत्यंचा खींचते समय वह टूट गया। राजा जनक ने प्रतिज्ञा की थी कि जो भी इस शिव धनुष को उठाएगा, उसी से वे अपनी पुत्री सीता का विवाह करेंगे।

 

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Manisha Shukla

पत्रकार हूं, खबरों को सरल भाषा में लिखने की समझ हैं। हर विषय को जानने के लिए उत्सुक हूं।

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