Rama Ekadashi 2019 Date Calendar: रमा एकादशी कब है, रमा एकादशी पूजा विधि, समय और व्रत कथा के बारे में जानिए

Rama Ekadashi 2019 Date Calendar : रमा एकादशी कब है, रमा एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है. रमा एकादशी का शुभ मुहूर्त क्या होगा और रमा एकादशी का व्रत कथा क्या है अगर आपके जहन में भी ये सवाल चल रहे हैं तो हम आपके इन्ही सभी सवालों का जवाब दे रहे हैं. रमा एकादशी इस साल 24 अक्टूबर को आ रहा है.

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Rama Ekadashi 2019 Date Calendar: रमा एकादशी कब है, रमा एकादशी पूजा विधि, समय और व्रत कथा के बारे में जानिए

Aanchal Pandey

  • July 18, 2019 3:31 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

बॉलीवुड डेस्क, मुंबई. हिन्दू धर्म में रमा एकादशी का काफी महत्व होता है. रमा एकादशी उत्तरी भारत के कैलेंडर के अनुसार हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष एकादशी को मनाया जाता है. इस साल रमा एकादशी 24 अक्टूबर 2019 को पड़ रहा है. रमा एकादशी की शुभ मुहूर्त इस बार सिर्फ 2 घंटे 14 मिनट तक के लिए ही रहने वाला है. रमा एकादशी का नाम मां लक्ष्मी के नाम पर रखा गया है. रमा एकादशी में महालक्ष्मी के रमा स्वरुप की आराधना की जाती है. वहीं इस दिन मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु के पूर्णावतार केशव स्वरुप को पूजा जाता है.

रमा एकादशी दिवाली के त्योहार के सिर्फ 4 दिन पहले ही मनाई जाती है. रमा एकादशी का खास प्रभाव माना जाता है. रमा एकादशी का व्रत रखने से घर में सुख समृद्धि आने के साथ – साथ ये मनुष्य के पापों को भी कम करती है. हिंदू शास्त्रों में रमा एकादशी को रम्भा एकादशी और कृष्मपक्ष एकादशी भी कहा जाता है. रमा एकादशी के दिन व्रत करने से धन और धान्य की कमी कभी नहीं होती. 

रमा एकादशी शुभ मुहूर्त 

रमा एकादशी का इस साल 24 अक्टूबर 2019 को पड़ रहा है. रमा एकादशी का शुभ मुहूर्त 26 अक्टूबर 06 बजकर 27 मिनट से 25 अक्टूबर 08 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. 

https://youtu.be/HBbavSA0L7Q

रमा एकादशी पूजा विधि

रमा एकादशी के दिन व्रत रखने वाले व्रती सुबह जल्दी ब्रह्म मुहूर्त में उठे. उठने के बाद स्नान आदि करके साफ सुथरे कपड़े पहनें. इसके बाद रमा एकादशी का व्रत रखना चाहता है वो व्रत को करने के लिए संकल्प लें. संकल्प के दौरान यह भी बताए और निराहार व्रत रखना चाहते हैं या फिर फलाहार. इसके बाद संकल्प के तुरंत बाद ही भगवान विष्णु की विधि-विधान के साथ पूजा करें. भगवान विष्षु के साथ ही मां लक्ष्मी की भी अराधना करना न भूलें. इस दौरान भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की को भोग जरूर लगाए और पूजा खत्म होने के बाद भोग का प्रसाद सभी में बांटे. इस दिन शाम को भी इसी तरह से पूजा करें और इस समय पूजा करने के साथ – साथ भगवान के सामने बैठकर गीता का पाठ जरूर करें.

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