रक्षाबंधन का पर्व भाई बहन के प्यार का प्रतीक है. इस बार रक्षाबंधन 26 अगस्त को पड़ेगा. और इस बार पंचक भी पड़ रहा है दोनों ही नक्षत्र पंचककारक हैं इस बार की राखी पंचककाल में ही बंधेगी.
नई दिल्ली: रक्षाबंधन का पर्व हर साल श्रावण की पूर्णिमा को मनाया जाता है जो इस बार 26 अगस्त को मनाया जाएगा. ज्योतिष के अनुसार रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर पंचक भी रहेगा. इस बार रक्षाबंधन का पर्व 25 अगस्त से प्रारंभ होकर 30 अगस्त तक रहेगा. शास्त्रों में पाचक को अशुभ माना जाता है. जो रक्षाबंधन के एक दिन पूर्व यानि 25 अगस्त से प्रारंभ होकर दिनांक 30 अगस्त तक रहेगा. इस अशुभ को दूर करने के लिए कई उपाय भी हैं.
रक्षाबंधन के दिन 12 बजकर 35 मिनट तक ‘धनिष्ठा’ नक्षत्र रहेगा. दोनों ही नक्षत्र पंचककारक हैं इस बार की राखी पंचककाल में ही बंधेगी. एक पुरानी कथा के अनुसार देवी लक्ष्मी ने सर्वप्रथम दैत्यराज बलि रो राखी बांधकर अपना भाई बनाया था. तब से ये पर्व बनने लगा .रक्षाबंधन का पर्व भाई बहन के प्यार का प्रतीक हैं. इस दिन बहनें अपने भाई के मस्तक पर तिलत लगाती है फिर उन की कलाई पर राखी बांधती हैं, फिर भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है.
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
रक्षाबंधन में राखी बांधने का मुहूर्त 26 अगस्त सुबह 7:43 मिनट से दोपहर 12:28 मिनट तक रहेगा. इसके बाद 02:03 फिर शुरु हो जाएगा. उसके बाद 03:38 पर शुरु हो जाएगा. फिर 05:25 मिनट पर पूर्णिमा खत्म हो जाएगी.
ये पुरानी कहानी काफी प्रचलित है. यह कहानी भाई-बहन के अभाव में मुंहबोले भाई-बहनों का संबंध प्रचलित है. जिस में किसी प्रकार का खून का संबध ना होने के बावजूद राखी का सबंध बहुत गहरा होता है. ये पर्व में भाई बहन के प्रेम को दर्शाता है. आज कल केवल नारी को भाग्य की वस्तु समझा जाता है. और अब नारी का अनादर ही किया जाता है. पर हमारे धर्म में नारी को देवी के रुप में देखा जाता है. और उन की पूजा कि जाती है. हालाकि रक्षाबंधन के दिन भाई वादा करता है कि वह बहन की रक्षा करेगा.
पंचक दूर करने के उपाए
अगर आप अपने भाई को राखी 12 बजकर 35 मिनट से पहले करते हैं तो भाई-बहन को 11 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए. ‘वसो पवित्रेति नम:’. मंत्र जपने के बाद और राखी बांधने से पहले बहन अपने भाई को नारियल भेंट करे. फिर अंत में राखी बांधे. और अगर आप अपने भाई को राखी 12 बजकर 35 मिनट के बाद करते हैं तो भाई-बहन को 11 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए. ‘वरणस्तम्भेति नम: फिर मंत्र के बाद अपने भाई को आम भेंट करना चाहिए फिर राखी बांधनी चाहिए.
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