देशभर में 26 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. राखी के इस पावन पर्व पर सभी बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं. दूसरी ओर भाई बहन की रक्षा का वचन देते हैं. रक्षाबंधन को मनाने के पीछे कई कहानियां बताई गई हैं, इन्हीं में से एक है विष्णु भगवान और राजा बलि की कहानी.
नई दिल्ली. 26 अगस्त को देशभर में रक्षाबंधन का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा. इस पावन पर्व के दिन बहन अपने भाइयों के हाथों पर राखी बांधकर उनके लंबे जीवन की कामना करती हैं. वहीं भाई अपनी बहनों के जीवन की रक्षा करने का वचन देते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार, राखी का त्योहार सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. बताया जा रहा है कि इस बार रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहर्त शनिवार शाम से शुरू होकर रविवार शाम 5:30 बजे तक रहेगा.
हिंदू पुराण कथाओं के अनुसार, रक्षाबंधन के त्योहार की मान्यता को लेकर कई कहानियां प्रचलिच हैं. कहा जाता है कि इन्हीं के बाद से राखी का त्योहार मनाना शुरु किया गया था. इन्हीं कथाओं में से एक हैं भगवान विष्णु और राजा बलि की कथा. आइए जानते हैं क्या हैं विष्णु भगवान और राजा बलि की कहानी.
हिंदू घर्म के मुताबिक, कहा जाता है कि जब राजा बलि को विष्णु भगवान ने हरा कर तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था तो बलि ने विष्णु जी से उनके महल में रहने का आग्रह किया. हालांकि विष्णु जी की पत्नी मां लक्ष्मी को दोनों की मित्रता बिल्कुल पसंद नहीं आई और उन्होंने विष्णु जी के साथ वैकुण्ठ जाने का निश्चय कर लिया. जिसके बाद माता लक्ष्मी ने बलि को रक्षा धागा बांधकर अपना भाई बना लिया.
धागा बांधने पर बलि ने लक्ष्मी मन चाहा उपहार मांगने के लिए कहा तो लक्ष्मी माता ने बलि से कहा कि वे विष्णु जी को उस वचन से मुक्त करें कि विष्णु भगवान उसके महल में रहेंगे. बलि ने यह मानते हुए मां लक्ष्मी को अपनी बहन के रूप में स्वीकार कर लिया. जिसके बाद से रक्षाबंधन मनाया जाने लगा.