नई दिल्ली: पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा कहा जाता है,और ऐसे में गुरुवार को पुष्य योग को सोने पर सुहागा जैसा माना जा रहा है. इस साल गुरु पुष्य नक्षत्र 22 फरवरी 2024 को पड़ेगा. बता दें कि सोना, चांदी, जमीन, वाहन आदि कई चीजें खरीदना, इस दिन दीर्घकालिक सफलता और समृद्धि लाता है. […]
नई दिल्ली: पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा कहा जाता है,और ऐसे में गुरुवार को पुष्य योग को सोने पर सुहागा जैसा माना जा रहा है. इस साल गुरु पुष्य नक्षत्र 22 फरवरी 2024 को पड़ेगा. बता दें कि सोना, चांदी, जमीन, वाहन आदि कई चीजें खरीदना, इस दिन दीर्घकालिक सफलता और समृद्धि लाता है.
गुरु पुष्य नक्षत्र की शुरुआत 22 फरवरी को सूर्योदय से शुरू होकर शाम 4:43 बजे समाप्त होगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि, रवि योग, सौभाग्य और शोभन योग का भी संयोग बन रहा है. आपको बता दें कि पूषा 27 राशियों में से 8वीं राशि है, और इस नक्षत्र के उदय होने पर कोई भी शुभ कार्य अत्यंत शुभ माना जाता है. ये सभी राशियों में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. साथ ही गुरु पुष्य नक्षत्र के दौरान चंद्रमा कर्क राशि में होता है और चंद्रमा कर्क राशि की 12 राशियों का एकमात्र स्वामी है. ऐसा कहा जा रहा है कि चंद्रमा किसी अन्य राशि का स्वामी नहीं है, बल्कि चंद्रमा धन के देवता हैं. इसलिए धन के लिए पुष्य नक्षत्र को बहुत पवित्र माना जाता है, इसलिए पुष्य नक्षत्र को सोना, चांदी और नई वस्तुओं की खरीदारी के लिए सबसे शुभ त्योहार माना जाता है. आप वहां शादी के अलावा कुछ भी कर सकते हैं. इस शुभ योग के प्रारंभ होने से ही इस व्यवसाय की शुरुआत अच्छी होती है.
1. ये नक्षत्र स्थायी है, जो लोग इस नक्षत्र के दौरान कोई भी चीज खरीदते हैं, तो उस वस्तु का अस्तित्व लंबे समय तक के लिए बना रहता है. शास्त्रों के मुताबिक गुरु पुष्य योग में पारद लक्ष्मी घर में स्थापित करना बहुत शुभ माना गया है, और इससे बरकत का भी बहुत वास होता है और धन की कमी भी दूर होती है.
2. बता दें कि गुरु पुष्य नक्षत्र पर गुरु बृहस्पति और शनि ग्रह का अधिपत रहता है और इस गुरु बृहस्पति का शुभ आशीर्वाद पाने के लिए उनसे संबंधित कुछ चीजें भी खरीद सकते हैं, जैसे की पीतल के पात्र, पीले रंग के वस्त्र, और सोने के आभूषण आदि.
3. जैसे कि पुष्य नक्षत्र में मंत्र दीक्षा, यज्ञ अनुष्ठान, उच्च शिक्षा ग्रहण करना,आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना, भूमि क्रय-विक्रय, और वेद पाठ आरंभ करना बहुत श्रेष्ठ माना जाता है.
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