नई दिल्ली. कहा जाता है कि भगवान श्रीराम के रहते हुए भी देवी सीता ने अपने ससुर का गया में श्राद्ध किया था. अब ऐसा क्या वजह थी कि देवी को अपने पति भगवान राम के रहने के बाद भी अपने ससुर का पिंडदान करना पड़ा था. हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान पिंडदान का […]
नई दिल्ली. कहा जाता है कि भगवान श्रीराम के रहते हुए भी देवी सीता ने अपने ससुर का गया में श्राद्ध किया था. अब ऐसा क्या वजह थी कि देवी को अपने पति भगवान राम के रहने के बाद भी अपने ससुर का पिंडदान करना पड़ा था. हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दौरान पिंडदान का विशेष महत्व होता है, दरअसल ये मान्यता है कि पुत्र ही माता-पिता का पिंडदान करता है और उसके न रहने पर ये अधिकार नाती-पोते पत्नी या बहू की होती है, तो फिर मां सीता ने किन परिस्थितियों में अपने ससुर का पिंडदान किया और किस स्थान पर किया, आइए बताते हैं:
पिंडदान हरिद्वार, गंगासागर, कुरुक्षेत्र, चित्रकूट, पुष्कर सहित कई स्थानों पर किया जाता है, मान्यता है कि यहां श्रद्धापूर्वक पिंडदान करने से पूर्वज को मोक्ष मिल जाता है. लेकिन गया में पिंडदान करने का महत्व सबसे ज्यादा बताया जाता है.
गया में पिंडदान करने का जिक्र रामायण में भी किया गया है क्योंकि गया में किए गए श्राद्ध की महिमा का गुणगान भगवान राम ने भी किया है. यहां माता सीता ने भी अपने ससुर राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया था, मान्यता है कि एक परिवार से कोई एक ही ‘गया’ करता है और गया करने का मतलब होता है, गया में पितरों को पिंडदान करना.
वाल्मिकी रामायण में जिक्र है कि माता सीता ने राजा दशरथ का पिंडदान किया था और उनके पिंडदान के बाद राजा दशरथ की आत्मा को मोक्ष मिला था. वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और सीता पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करने के लिए गया धाम पहुंचे थे.
विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा विज्ञान : प्रधानमंत्री
Delhi News: मुंडका में सीवर साफ करने उतरे सफाई कर्मी की मौत, बचाने गए गार्ड का भी घुटा दम