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भटकती आत्माओं को इस कुंड से मिलता है मोक्ष, पितरों को भी मिलेगी मुक्ति

नई दिल्ली. पितृ पक्ष की शुरुआत इस साल 10 सितंबर से हो गई है और यह 25 सितंबर तक चलेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष का आरंभ भाद्रपद मास की पूर्णिमा से होता है और समापन आश्विन मास की अमावस्या पर होता है, वहीं इस अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है. इसके […]

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Pitru Paksha 2022
  • September 11, 2022 9:39 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली. पितृ पक्ष की शुरुआत इस साल 10 सितंबर से हो गई है और यह 25 सितंबर तक चलेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष का आरंभ भाद्रपद मास की पूर्णिमा से होता है और समापन आश्विन मास की अमावस्या पर होता है, वहीं इस अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है. इसके अगले दिन से नवरात्र की शुरुआत हो जाती है.

मान्यताओं के मुताबिक, प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से होने वाली परेशानियों से मुक्ति दिलाने के लिए काशी नगरी में एक कुंड के पास खास अनुष्ठान करने से भटकती आत्माओं को मुक्ति मिल जाती है, और यही कारण है कि हर साल पितृपक्ष के दौरान देशभर से लोग काशी पहुंचते हैं और पूर्वजों की भटकती आत्माओं के लिए खास अनुष्ठान भी करवाते हैं. मान्यताओं के मुताबिक, मोक्ष नगरी काशी में एक खास कुंड है जहां पर पितृपक्ष के दौरान अनुष्ठान, श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों को मुक्ति मिलती है.

काशी के किस कुंड में किया जाता है अनुष्ठान

मान्यताओं के मुताबिक, पितरों (पूर्वजों) को अकाल मृत्यु और प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए मोक्ष नगरी काशी में चेतगंज थाने के पास एक कुंड है जिसे ‘पिशाच मोचन कुंड’ भी कहा जाता है, इसके बारे में कहा जाता है कि पिशाच मोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध करने से पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिल जाती है और फिर उनकी आत्मा विचरती नहीं है.

पूर्वजों की जिस तिथि को मृत्यु हुई थी, अनुष्ठान और श्राद्ध उसी तिथि को होता है. गरुड़ पुराण में भी पिशाच मोचन कुंड का जिक्र मिलता है, बताया जाता है कि यह कुंड गंगा के धरती पर आने से भी पहले का है और यहां पर पितृपक्ष के दौरान अतृप्त और अशांत आत्माओं का श्राद्ध किया जाता है. मान्यताएं बताती हैं कि जिनकी अकाल मृत्यु हुई है उन लोगों के लिए देशभर में सिर्फ पिशाच मोचन कुंड में ही त्रिपिंडी श्राद्ध होता है जिससे उन्हें मुक्ति मिल जाती है.

 

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