नई दिल्ली: आज, 2 अक्टूबर 2024 को सर्व पितृ अमावस्या मनाई जा रही है, जिसे पितृ पक्ष का अंतिम दिन माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसे आश्विन महीने की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यह दिन उन पितरों के लिए समर्पित होता है। इस अमावस्या को पितरों का […]
नई दिल्ली: आज, 2 अक्टूबर 2024 को सर्व पितृ अमावस्या मनाई जा रही है, जिसे पितृ पक्ष का अंतिम दिन माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसे आश्विन महीने की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यह दिन उन पितरों के लिए समर्पित होता है। इस अमावस्या को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा और दान-पुण्य की जाती है।
सर्वपितृ अमावस्या का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। पितृ पक्ष हिंदू धर्म में पितरों की तृप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण समय होता है। इस पक्ष में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करते हैं। सर्व पितृ अमावस्या वह दिन होता है जब जिन पूर्वजों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है या भूलवश श्राद्ध नहीं किया जा सका, उनके लिए पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध जरूर करना चाहिए।
11:46 AM से लेकर 12:34 PM तक कुतुप मूहूर्त
12:34 PM से लेकर 01:21 PM तक रौहिण मूहूर्त
01:21 PM से लेकर 03:43 PM तक अपराह्न काल
जानकारी के अनुसार इस साल सर्व पितृ अमावस्या की शुरुआत 1 अक्टूबर की रात से 9 बजकर 39 मिनट से होकर 2 अक्टूबर की देर रात 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। इसके अलावा उदया तिथि के अनुसार ये सर्व पितृ अमावस्या 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
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सर्व पितृ अमावस्या पर पूजा विधि विशेष रूप से सरल होती है, लेकिन उसमें श्रद्धा और भक्ति का होना आवश्यक है।
1.प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्यदेव को जल दें।
2. अपने घर के आंगन या पूजा स्थान में पितरों की तस्वीर या प्रतीक के सामने दीप जलाएं और उन्हें प्रणाम करें।
3 जल में काले तिल मिलाकर पितरों का तर्पण करें। तर्पण करते समय ‘ॐ पितृभ्यः नमः’ मंत्र का जाप करें।
4. फिर इसके बाद रसोई घर को शुद्ध करके बिना लहसुन प्याज का खाना बनाएं जिसमें पूरी, खीर, सब्जी, चावल आदि भोजन जरूर शामिल हो।
5. इसके बाद अपने सभी पितरों को याद करें और तैयार भोजन में से उनके नाम से भोजन निकालें। इस दिन बिना लहसुन प्याज का भोजन बनाना है।
5. ब्राह्मण या गरीबों को भोजन कराएं और उन्हें वस्त्र, अन्न या दक्षिणा का दान करें। साथ ही गौ, कुत्ते, पक्षी और चींटी को भी भोजन दें।
6. गंगा या किसी पवित्र नदी के किनारे जाकर पिंडदान करें। इसमें चावल, जौ, तिल और घी का उपयोग होता है। इस दिन हरे चारे का दान जरूर करें।
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1. पीपल वृक्ष की पूजा: इस दिन पीपल वृक्ष के नीचे दीप जलाकर उसकी पूजा करें। माना जाता है कि पीपल में पितरों का वास होता है, और यह पूजा उन्हें प्रसन्न करती है।
2. भगवान विष्णु की आराधना: पितरों को प्रसन्न करने के लिए भगवान विष्णु का ध्यान करें। विशेष रूप से ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
3. दान-पुण्य: गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें। इससे पितृ दोष का निवारण होता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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