नई दिल्ली. पितृ पक्ष की शुरुआत इस साल 10 सितंबर से हो रही है और यह 25 सितंबर तक चलेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष का आरंभ भाद्रपद मास की पूर्णिमा से होता है और समापन आश्विन मास की अमावस्या पर होता है, वहीं इस अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है. इसके अगले दिन से नवरात्र की शुरुआत हो जाती है.
हिंदू धर्म में कौओं को पुरखों का दर्जा दिया जाता है इसलिए पितृ पक्ष हो या कोई भी शुभ कार्य पितरों को याद करते हुए लोग कौओं को भोजन कराते हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर पितृ पक्ष में कौओं को ही भोजन क्यों कराया जाता है और इसका क्या महत्व होता है, आइए आज आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं:
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, पितृ पक्ष के दौरान पितर कौओं के रूप में धरती पर आते हैं, इस बात का शास्त्रों में भी वर्णन किया गया है कि देवताओं के साथ ही कौए ने भी अमृत को चखा था. जिसके बाद से यह माना जाता है कि कौओं की मौत कभी भी प्राकृतिक रूप से नहीं होती है और वो पितर के रूप में धरती पर आते हैं.
यहाँ तक कि कौए बिना थके लंबी दूरी की यात्रा तय कर सकते हैं. ऐसे में किसी भी तरह की आत्मा कौए के शरीर में वास कर सकती है और एक स्थान से दूसरे स्थान विचार सकती है. इन्हीं कारणों के चलते पितृ पक्ष में कौओं को भोजन कराया जाता है, इसके साथ ही ये भी मान्यता है कि, जब किसी व्यक्ति की मौत होती है तो उसका जन्म कौआ योनि में होता है और इस कारण कौओं के जरिए पितरों को भोजन कराया जाता है.
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