नई दिल्ली. पितृ पक्ष की शुरुआत इस साल 10 सितंबर से हो गई है और यह 25 सितंबर तक चलेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष का आरंभ भाद्रपद मास की पूर्णिमा से होता है और समापन आश्विन मास की अमावस्या पर होता है, वहीं इस अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है. इसके अगले दिन से नवरात्र की शुरुआत हो जाती है.
आइए जानते हैं कि जब किसी कारणवश परंपरागत तरीके से पितरों को श्राद्ध न कर पाएंं तो उन्हें मनाने और प्रसन्न करने के लिए क्या उपाय करना चाहिए.
यदि आप किसी कारणवश पितृपक्ष के दौरान तिथि विशेष पर अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान नहीं कर पा रहे हैं तो आप बिल्कुल भी परेशान न हों और पितृपक्ष के अंत में पड़ने वाली सर्व पितृ अमावस्या के दिन किसी योग्य कर्मकांडी ब्राह्मण को बुलाकर आदरपूर्वक घर में भोजन करवाएं. भोजन के बाद ब्राह्मण को अपनी क्षमता के अनुसार दान, दक्षिणा, वस्त्र आदि जो संभव हो वो दें, लेकिन ऐसा करते समय भूलकर भी किए जाने वाले दान का अभिमान न करें.
अगर आप किसी ऐसी जगह पर हैं जहां पर पितरों का श्राद्ध करने के लिए सामान न उपलब्ध हो या फिर आपको भोजन करवाने के लिए ब्राह्मण नहीं मिल पा रहे हैं तो आप दक्षिण दिशा की ओर मुंह करने के बाद दोनों हाथ उपर करके अपने पूर्वजों को याद करें. इसके साथ ही पितरों से श्राद्ध न कर पाने के लिए माफी मांगते हुए अपने उपर कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करें.
पितृपक्ष में अगर किसी कारणवश आप पितरों का श्राद्ध न कर पाएं और आपको भोजन करवाने या दान देने के लिए कोई ब्राह्म्मण भी न मिले तो आपको किसी गाय को एक मुट्ठी घास खिलाना चाहिए क्योंकि मान्यता है कि गाय की सेवा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं.
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