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Pitru Paksha Amavasya 2018: महालया, सर्वपितृ अमावस्या तिथि और महत्व, जानें कैसे करनी है पितरों की विदाई

Mahalaya or Sarvapitri Amavasya 2018: महालया या सर्वपितृ अमावस्या 2018: श्राद्धों में पितरों की शांति के लिए तर्पण किया जाता है. श्राद्ध में यदि आप किसी पूर्वज का श्राद्ध करना भूल गए हैं तो हिंदू शास्त्रों में एक नियम है जिसके जरिए पितरों से सभी भूल चूक माफ हो सकती है. जानिए सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध का समय और तारीख और महत्व.

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Pitru Paksha Amavasya 2018: महालया, सर्वपितृ अमावस्या तिथि और महत्व, जानें कैसे करनी है पितरों की विदाई
  • October 3, 2018 8:14 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. महालया या सर्वपितृ अमावस्या 2018: श्राद्धों में पितरों की शांति के लिए तर्पण किया जाता है जो कि हर हिंदू परिवार में कई मायनों में महत्व रखता है. इसी प्रकार पितरों की देहावासन तिथि अज्ञात हो या सीधे तौर पर यूं कहें कि आप को याद न हो तो इसके लिए भी हिंदू धर्मशास्त्रों में एक नियम है. साधारण सी बात है कि सभी के श्राद्ध तिथि को याद रखना आसान नहीं है जिसके लिए पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन श्राद्ध करने की प्रथा है.

pitra visarjan 2018: पितृ विसर्जन अमावस्या का महत्व
जी हां, श्राद्ध मास में जो कुछ भी भूल चूक हुई हो या फिर आप किसी भी पूर्वज का श्राद्ध भूल रहे हो तो श्राद्ध के बीच में आने वाली अमावस्या पर पितृ विसर्जन किया जाता है. इस दिन ब्राह्मण को घर बुलाकर भोज व दान देने का नियम है. जैसा कि हर श्राद्ध के दिन दान व स्नान का महत्व होता है ठीक उसी प्रकार सर्वपितृ अमावस्या के दिन भी किया जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार किसी पंडित या किसी गरीब को महालया के दिन दान करने से आने वाले संकट कट जाते हैं.

Pitru Paksha Amavasya 2018 पितृ विसर्जन अमावस्या: कैसे करें पितरों की विदाई:
कहा जाता है कि पितृपक्ष यानी श्राद्धाों में 16 दिनों के लिए पितर धरती पर उतरते हैं और अमावस्या के दिन उनकी विदाई की जाती है. इस दिन विधिवत पितरों की शांति के लिए उपायों व पूजा की जाता है. इस दिन खीर पूड़ी बनाने की प्रथा है और इसी प्रसाद का भोग लगाया जाता है. साथ ही लहसुन प्याज की मनाही होता है. सर्वपितृ अमावस्या पर स्नान करने के बाद भोजन बनाएं और ब्राह्मण को भोज करवा कर दान करें. खुद भोजन करने से पहले गाय को भोजन, कुत्ते के लिए, चींटी के लिए, कौआ के लिए और देवताओं के लिए भोजन निकाल दें.

सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध का समय और तारीख
तिथि – अमावस्या, 8 अक्टूबर 2018, सोमवार
श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त = 11:45 से 12:31 तक
रोहिण मुहूर्त = 12:31 से 13:17 तक
अपराह्न काल = 13:17 से 15:36 तक

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