नई दिल्ली. पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा में होती है. 24 सितंबर से इस बार पितृपक्ष की शुरूआत हो गई है जो 8 अक्टूबर तक चलेगा. मान्यता है कि इस दौरान हिंदू धर्म के लोग अपने पूर्वजों की शांति के लिए और उनका आशीष पाने के लिए श्राद्ध कर्म और पिंडदान करते हैं. कहा जाता है कि यह समय पितृ ऋण से मुक्ति के लिए उत्तम होता है. वहीं पितृदोष से मुक्ति का सही समय भी यही होता है.
मान्यताओं के अनुसार, जिन लोगों की मृत्यु पूर्णिमा के दिन हुई है उनका श्राद्धकर्म पितृपक्ष के पहले दिन यानी पूर्णिमा पर पड़ने वाले पितृपक्ष के दिन होता है. वहीं दूसरे दिन का श्राद्ध प्रतिपदा दिनांक पर आता है. 25 सितंबर को इस बार दूसरा दिन पड़ रहा है. इस दिन उन लोगों का पिंड दान किया जाता है जिनकी मौत प्रतिपदा तिथि को हुई हो. वहीं दूसरे दिन नाना-नानी का भी श्राद्ध किया जाता है.
दूसरे श्राद्ध की तिथि और मुहूर्त
तिथि : प्रतिपदा
जानिए दूसरे दिन श्राद्ध करने का सही समय
कुतुप मुहूर्त 11:48 बजे से लेकर 12:36 तक, रोहिण मुहूर्त 12:36 बजे से लेकर 13:24 तक और अपराह्न काल 13:24 बजे से लेकर 15:47 तक कर सकते हैं. हालांकि खास तौर पर ध्यान रखें कि अंधेरे में कभी भी श्राद्धकर्म नहीं किया जाता है. श्राद्ध उस समय होता है जब सूरज की छाया आगे की तरफ ना होकर पीछे की ओर हो.
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