पितृ पक्ष के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां, वर्ना नाराज़ हो जाएंगे पूर्वज

नई दिल्ली. पितृ पक्ष की शुरुआत इस साल 10 सितंबर से हो रही है और यह 25 सितंबर तक चलेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष का आरंभ भाद्रपद मास की पूर्णिमा से होता है और समापन आश्विन मास की अमावस्या पर होता है, वहीं इस अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है. इसके […]

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पितृ पक्ष के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां, वर्ना नाराज़ हो जाएंगे पूर्वज

Aanchal Pandey

  • September 9, 2022 10:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली. पितृ पक्ष की शुरुआत इस साल 10 सितंबर से हो रही है और यह 25 सितंबर तक चलेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष का आरंभ भाद्रपद मास की पूर्णिमा से होता है और समापन आश्विन मास की अमावस्या पर होता है, वहीं इस अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है. इसके अगले दिन से नवरात्र की शुरुआत हो जाती है.

15 दिन पितरों को समर्पित

साल के 365 दिनों में से केवल 15 दिन ही अपने पितरों को समर्पित करने होते हैं. जिस तरह सावन के महीने के रूप में महादेव को एक पूरा माह समर्पित रहता है और मां शक्ति के लिए वर्ष में दो बार 9 दिन शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्र आती हैं. ठीक उसी प्रकार शास्त्रों में पितरों के लिए भी पूरे एक पक्ष का समय दिया गया है. इससे यह स्पष्ट ही है कि पितर हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण होते हैं.

जानिए कौन हैं पितृ

ईश्वर तो एक होता है, लेकिन पितर कई सारे होते हैं. इसका संबंध हमारी परंपरा से है. इसलिए ये जानना जरूरी है कि आखिर यह पितर हैं कौन? पितर हमारे जीवन में अदृश्य सहायक हैं. यह हमारे जीवन के कार्यों, लक्ष्यों आदि में पूरा शुभ व अशुभ प्रभाव रखते हैं. यानी अगर पितर प्रसन्न हैं तो आपका हर काम सरल और आसानी से हो जाएगा. उनका अदृश्य सपोर्ट आपको मिलता रहेगा, जिस तरह साइकिल चलाते समय यदि उसी दिशा में तेज हवा चलने लगे तो पैडल करना आसान हो जाता है.

क्या नहीं करना चाहिए

पितर अपना पिछला शरीर त्याग चुके हैं, लेकिन अभी अगला शरीर प्राप्त नहीं किया है. हिंदू धर्म की मान्यता है कि जीवात्मा स्थूल शरीर छोड़ देती है, उस समय ही इंसान की मृत्यु होती है. आपको 15 दिनों के लिए गृह कलह यानी घर में लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए.
शराब, बैंगन, मांसाहार, मछली अंडा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए.
इस दौरान आपको किसी भी तरह का मांगलिक या शुभ कार्य नहीं करना चाहिए.
नास्तिक होते हुए भी आपको धर्म गुरुओं और साधुओं का अपमान नहीं करना चाहिए.
इन 15 दिनों के दौरान किसी भी अतिथि का अपमान ना करें.

 

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