नई दिल्ली. कुंडली के पितृ दोष दूर करने के लिए पितृपक्ष का समय सबसे अच्छा माना जाता है. इन दिनों पितरों को खुश करने के लिए और उनका आर्शीवाद पाने के लिए ये कई तरह के उपाय किए जाते हैं. आज से पितृ पक्ष ( Pitru Paksh 2021 ) की शुरुआत हो चुकी है और […]
नई दिल्ली. कुंडली के पितृ दोष दूर करने के लिए पितृपक्ष का समय सबसे अच्छा माना जाता है. इन दिनों पितरों को खुश करने के लिए और उनका आर्शीवाद पाने के लिए ये कई तरह के उपाय किए जाते हैं. आज से पितृ पक्ष ( Pitru Paksh 2021 ) की शुरुआत हो चुकी है और यह 6 अक्टूबर तक चलेंगे. ऐसे में ब्राह्मण, गाय, श्वान और कौए को भोजन करवाया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि पितृ पक्ष के समय कौओं को ही क्यों पितरों का स्वरुप माना जाता है. आज हम आपको बताएंगे इसके पीछे की वजह.
पितृ पक्ष के समय ब्राह्मण, गाय, श्वान और कौए को भोजन करवाना अत्यंत पवित्र माना जाता है. गाय में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है इसलिए गाय माता को अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना जाता है. ऐसे ही पितृ पक्ष में कौए को भोजन करवाने के पीछे भी बहुत महत्वपूर्ण मान्यता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब मनुष्य की मृत्य होती है तब वह सबसे पहले कौए का रूप धारण करता है, माना जाता है कि कौआ का किया गया भोजन पितरों को ही प्राप्त होता है. और यदि कौआ आपके श्राद्ध का भोजन ग्रहण कर लेता है तो इसका मतलब है कि आपके पितृ आपसे प्रसन्न हैं.
सनातन धर्म में कौए को देवपुत्र माना गया है, कथा के अनुसार इंद्र के पुत्र जयंत ने ही सबसे पहले कौए का रूप धारण कर माता सीता को घायल किया था. जिसके बाद भगवान राम ने तिनके से बह्रमास्त्र चलाकर जयंत की आंखों पर वार किया था. जयंत ने अपने किए के लिए भगवान राम से क्षमा मांगी जिसके बाद भगवान ने उन्हें वरदान दिया कि उन्हें खिलाया गया भोजन पितरों को मिलेगा.