Pitru Paksh 2021 : जानिए पितरों को तर्पण देने की विधि और मुहूर्त

नई दिल्ली, पितृ पक्ष 20 सितंबर ( Pitru Paksh 2021 ) से शुरू हो गए हैं, इस समय अपने पूर्वजों को जल अर्पित किया जाता है, इसका अलग ही महत्व है. इन दिनों सभी हिंदू परिवारों में पितरों की पूजा की जाती है और उन्‍हें तर्पण दे कर उनकी आत्मा को तृप्त किया जाता है. […]

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Pitru Paksh 2021 : जानिए  पितरों को तर्पण देने की विधि और मुहूर्त

Aanchal Pandey

  • September 21, 2021 9:51 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

नई दिल्ली, पितृ पक्ष 20 सितंबर ( Pitru Paksh 2021 ) से शुरू हो गए हैं, इस समय अपने पूर्वजों को जल अर्पित किया जाता है, इसका अलग ही महत्व है. इन दिनों सभी हिंदू परिवारों में पितरों की पूजा की जाती है और उन्‍हें तर्पण दे कर उनकी आत्मा को तृप्त किया जाता है.

जानिए तर्पण का महत्व और विधि

पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों को तर्पण देने का अलग ही महत्व है. इस बारे में सनातन धर्म के मर्मज्ञ बताते हैं कि, पितृ पक्ष के दौरान अपने पितरों को जल अर्पण करने से उनकी आत्मा तृप्त होती है और वो आशीर्वाद देते हैं.

पितृ पक्ष के दौरान तर्पण की विधि पर सनातन धर्म के मर्मज्ञ बताते हैं कि,

– तर्पण देने के लिए बेस्‍ट है कि आप एक तांबे का लोटा ले लें। तांबे का लोटा नहीं हैं तो स्टील का लोटा भी चलेगा, मगर प्लास्टिक के बर्तन का इस्तेमाल पूजा-पाठ (पूजा पाठ के दौरान इन बातों का रखें ध्‍यान) में नहीं होता है। इसलिए पूर्वजों को प्लास्टिक के ग्लास से जल अर्पित न करें।

– पानी साफ-सुथरा पीने लायक ही होना चाहिए। जाहिर है, आप जो पानी खुद पी सकते हैं वहीं दूसरों को भी ऑफर करेंगे। खासतौर से अपने पूर्वजों को हर चीज उनकी पसंद की और साफ-सुथरी ही ऑफर करनी चाहिए।

– तर्पण देने के लिए पानी में काले तिल और गुलाब की फूल जरूर डाल लें। तिल को हिंदू धर्म में बहुत ही शुद्ध और पवित्र माना गया है।

– हमेशा तर्पण देते वक्त आपका मुंह दक्षिण दिशा में ही होना चाहिए। जब भी आप पूर्वजों का तर्पण करें तो उन्हें साथ ही मिलने के लिए आमंत्रित भी करें। ऐसा करने के लिए आप ‘ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्‍तु जलान्‍जलिम’ मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का अर्थ है कि ‘हे पितरों जल ग्रहण करें और हमसे मिलने के लिए पधारिये।’

– इतना ही नहीं, आपको पिता को 3 बार जलांजलि देनी चाहिए और बाबा को भी 3 बार जल अर्पित करें। वही मां का स्थान सर्वोच्च होता है इसलिए दक्षिण दिशा में 14 बार उन्‍हें जलांजलि दें।

 

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