नई दिल्ली: गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है, जिसमें मृत्यु और आत्मा के परलोक यात्रा से जुड़े विभिन्न रहस्यों का वर्णन किया गया है। इस पुराण के अनुसार, मनुष्य की मृत्यु के बाद आत्मा स्वर्ग या नरक की यात्रा करती है, जो उसके कर्मों पर आधारित होती है। लेकिन गरुड़ […]
नई दिल्ली: गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है, जिसमें मृत्यु और आत्मा के परलोक यात्रा से जुड़े विभिन्न रहस्यों का वर्णन किया गया है। इस पुराण के अनुसार, मनुष्य की मृत्यु के बाद आत्मा स्वर्ग या नरक की यात्रा करती है, जो उसके कर्मों पर आधारित होती है। लेकिन गरुड़ पुराण में एक विशेष दिन की चर्चा की गई है, जिस दिन मरने वाले लोग स्वर्ग में भूखे रहते हैं।
गरुड़ पुराण के अनुसार, जब व्यक्ति अमावस्या या फिर एकादशी के दिन मृत्यु को प्राप्त होता है, तो उसकी आत्मा को स्वर्ग में भी भोजन नहीं मिलता। इसका कारण यह है कि अमावस्या तिथि को पितृ दोष का दिन माना गया है। इस दिन मरने वाली आत्माओं को तुरंत मोक्ष प्राप्त नहीं होता और उन्हें भूखे रहना पड़ता है, क्योंकि इस दिन उनके लिए कोई श्राद्ध या तर्पण नहीं किया जाता।
हिंदू धर्म में पितृ दोष को एक गंभीर समस्या माना जाता है। यदि किसी परिवार में पितृ दोष होता है, तो परिवार के सदस्य कई प्रकार की समस्याओं का सामना करते हैं। अमावस्या तिथि के दिन किए गए तर्पण और श्राद्ध कर्म पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, जब व्यक्ति अमावस्या को मृत्यु प्राप्त करता है, तो उसकी आत्मा को स्वर्ग में स्थान मिल सकता है, लेकिन उसे वहां भोजन की प्राप्ति नहीं होती, क्योंकि उसके लिए आवश्यक श्राद्ध कर्म नहीं किया गया होता है।
गरुड़ पुराण में अमावस्या फिर एकादशी के दिन मृत्यु प्राप्त करने वाले व्यक्ति के लिए विशेष श्राद्ध और तर्पण का प्रावधान बताया गया है। इस दिन परिवारजनों को पवित्रतापूर्वक श्राद्ध कर्म करना चाहिए और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देना चाहिए। यह आत्मा की भूख को शांत करने और उसे मोक्ष की प्राप्ति दिलाने में सहायक होता है।
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