किचन में कुछ वस्तुओं का गलत स्थान पर होना या उनका वहां होना वास्तु दोष का कारण बन सकता है, जिससे घर में दरिद्रता और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है। आइए जानते हैं ऐसी कौन-सी चीजें हैं, जिन्हें किचन में रखने से बचना चाहिए और इसके उपाय।
उत्पन्ना एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति और पापों के नाश के लिए किया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को खास नियमों का पालन करना चाहिए, ताकि व्रत का पूर्ण फल मिल सके। व्रत के दौरान खानपान और आचरण से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
आज उत्पन्ना एकादशी का पर्व है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। यह एकादशी विशेष रूप से भगवान श्रीविष्णु की उपासना के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है और इसका विशेष महत्व है। यह दिन भक्तों के लिए अपनी आध्यात्मिक प्रगति और पापों से मुक्ति पाने का अवसर प्रदान करता है।
महाभारत की कहानियां सिर्फ अनोखी या रोचक कहानियां नहीं हैं, बल्कि ये कहानियां धर्म, नैतिकता और जीवन के मूल्यों के बारे में बहुत कुछ सिखाती हैं। ऐसी ही एक कहानी पराक्रमी भीम से जुड़ी है, जो हजारों हाथियों का बल होने के बावजूद एक महिला से हार गए थे।
आज, 26 नवम्बर 2024 को उत्पन्ना एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है। यह एकादशी विशेष रूप से भगवान विष्णु की उपासना के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन का महत्व धार्मिक शास्त्रों में बहुत अधिक है
ज्योतिष के अनुसार, मंगल का यह प्रवेश कुछ राशियों के लिए कठिनाइयों का कारण बन सकता है, तो वहीं कुछ राशियों के लिए यह समय लाभकारी भी हो सकता है। इस स्थिति में सभी राशियों के जातकों को ध्यान रखना जरूरी है।
रुद्राक्ष को भारतीय परंपरा में अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना गया है। इसे भगवान शिव के अश्रुओं से उत्पन्न माना जाता है और इसे पहनने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, शांति और समृद्धि आती है, लेकिन रुद्राक्ष पहनते समय कुछ गलतियां करने से यह लाभ की जगह नुकसान दे सकता है।
स्वर्ग जाते समय द्रौपदी, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव की मृत्यु हो गई थी, केवल युधिष्ठिर ही अपने भौतिक रूप में स्वर्ग पहुंचे थे। यहां उन्हें कुछ समय के लिए नर्क भी देखना पड़ा था। धर्मात्मा होने के बावजूद युधिष्ठिर के साथ ऐसा क्यों हुआ, यह भी महाभारत में बताया गया है।
दर्श अमावस्या पर विशेष रूप से पितरों के तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। इस दिन पितरों को श्रद्धा अर्पित करने से उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। दर्श अमावस्या के दिन चंद्र देव की पूजा करने का विधान है। दर्श अमावस्या के दिन चंद्रमा की पूजा करने से हर इच्छा पूर्ण हो
आज के दिन चंद्रमा और केतु का विशेष संयोग बनने जा रहा है, जिसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्रमा मन और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि केतु आंतरिक ज्ञान और रहस्य का ग्रह है। इन दोनों ग्रहों की युति से कुछ राशियों को लाभ मिलेगा