Padmini Ekadashi 2020: इस दिन होगी पद्मिनी एकादशी 2020, जानें व्रत उद्यापन विधि

Padmini Ekadashi 2020: हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण तिथियों में से एक पद्मिनी एकादशी इस वर्ष 27 सितंबर 2020 को पड़ रही है. यह एकादशी पुरुषोत्तम मास में पड़ रही है. हिंदू धर्म में कोई भी व्रत उद्यापन के बिना संपूर्ण नहीं माना जाता है. इसलिए आपको अपने व्रत छोड़ने से पहले उसका उद्यापन अवश्य करना चाहिए. पद्मिनी एकादशी व्रत के उद्यपान से जातक को कई गुना पुण्य की प्राप्ति होती है.

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Padmini Ekadashi 2020: इस दिन होगी पद्मिनी एकादशी 2020, जानें व्रत उद्यापन विधि

Aanchal Pandey

  • September 19, 2020 9:32 am Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

Padmini Ekadashi 2020: हिंदू धर्मशास्त्रों में पद्मिनी एकादशी का महत्वपूर्ण स्थान है. इस वर्ष पद्मिनी एकादशी 27 सितंबर 2020 को मनाई जाएगी. यह एकादशी पुरुषोतम महीने में पड़ रही है. इसी कारण पद्मिनी एकादशी के उद्यापन करने से सभी एकादशी व्रत का कई गुना फल प्राप्त होगा और साथ ही भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त होगी तो आइए जानते हैं कि पद्मिनी एकादशी व्रत उद्यापन की विधि. इस आर्टिकल में हम आपको पद्मिनी एकादशी के व्रत उद्यपान विधि के बारे में बताएंगे.

बता दें कि पद्मिनी एकादशी पुरुषोत्तम मास में पड़ने वाली एकादशी मानी जाती है. इसी कारण से इस एकादशी का महत्व कई गुना बढ़ जाती है. ऐसे में यदि आप पद्मिनी एकादशी व्रत का उद्यापन करते हैं तो आपको अपने सभी एकादशी व्रतों का पूर्ण फल प्राप्त होगा.

जानें पद्मिनी एकादशी व्रत उद्यापन की विधि

  • हिंदू धर्म में कोई भी व्रत उद्यापन के बिना संपूर्ण नहीं माना जाता है. इसलिए आपको अपने व्रत छोड़ने से पहले उसका उद्यापन अवश्य करना चाहिए.
  • पद्मिनी एकादशी के व्रत का उद्यापन करने के लिए 12 ब्राह्मणों को पत्नी सहति निमंत्रित किया जाता है. इसलिए आप भी इन्हें आदर सहित आमंत्रित करें.
  • इन 12 ब्राह्मणों और उनकी पत्नियों के साथ ही एक आचार्य और उनकी पत्नी को भी उद्यापन के लिए आमंत्रित किया जाता है.
  • इसके बाद पद्मिनी एकादशी के उद्यापन में तांबे के कलश में चावल भरकर रखें.
  • कलश में चावल भरने के बाद ष्टदल कमल बनाकर भगवान विष्णु और लक्ष्मी का पोषशोपचार पूजन करें, यह सबू पूजन की प्रक्रिया आचार्य के द्वारा संपन्न कराई जाती है.
  • भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के बाद हवन अवश्य करें. क्योंकि हवन के बिना उद्यापन अधूरा माना जाता है.
  • प्रत्येक हवन के साक्षी सभी देवी देवता, यक्ष, नाग आदि होते हैं. इसलिए हवन में इनके नाम की भी आहूति डालें.
  • हवन के द्वारा सभी देवी देवताओं को अपना भाग प्राप्त होता है. इसलिए उद्यापन में हवन अवश्य करें.
  • इसके बाद सभी ब्राह्मण और उनकी पत्नियों सहित आचार्य और उनकी पत्नी को फलाहार भोजन कराएं.
  • भोजन के बाद सभी ब्राह्मण और उनकी पत्नियों सहति आचार्य जी और उनकी पत्नी को भी वस्त्र और अपने सामार्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा दें.

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