नई दिल्ली: जब धार्मिक मान्यताओं की बात आती है तो इस पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए क्योंकि यह लोगों की परंपराओं से संबंध रखते है। दुनिया में बहुत सी चीजें अच्छाई और बुराई के दायरे में आती हैं, लेकिन इस दायरे में आस्था को लाना सही नहीं है क्योंकि यह लोगों की भावनाओं से बंधी होती है और भावनाएं न तो अच्छी होती हैं और न ही बुरी, वे परे होती हैं. ऐसी ही एक मान्यता सनातन धर्म में है कि अंतिम संस्कार मे चंदन की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है.
हिंदू धर्म में चंदन व आम की लकड़ी का एक विशेष महत्व है, महाभारत और अन्य पुराणों में भी इनका अलग-अलग उल्लेख देखने को मिलता है। जहां आम की लकड़ी को देव का प्रतीक माना जाता है, वहीं चंदन को ठंडक देने वाला कहा जाता है। वैसे तो आम और चंदन का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि चंदन और आम की लकड़ी का इस्तेमाल अलग-अलग रीति-रिवाजों में क्यों किया जाता है? उदाहरण के लिए, अंतिम संस्कार में चंदन और शादियों में आम की लकड़ी का क्यों इस्तेमाल किया जाता है? आइए जानते हैं ऐसा क्यों किया जाता है, समझें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण…
आम की लकड़ी को लेकर एक विशेष धार्मिक मान्यता है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बच्चे के जन्म, विवाह या अन्य शुभ कार्यों में आम की लकड़ी का उपयोग करने से सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है। आम की लकड़ी से नवविवाहित जोड़े के जीवन में आने वाली समस्याओं का नाश एवं अन्य हवन सामग्री से हानिकारक जीवाणुओं का नाश होता है।
चंदन का उपयोग प्राचीन काल से ही दाह संस्कार में किया जाता रहा है, अब चंदन की कीमत अधिक होने के कारण लोग शव के मुंह पर चंदन की लकड़ी रख देते हैं ताकि परंपरा का पालन किया जा सके। इसके पीछे तर्क यह है कि जब वे ऐसा करते हैं, तो आत्मा को शांति मिलती है और यमलोक भी चंदन शीतलता को आत्मा में लाता है।
चंदन दुर्गंध से बचाता है, चंदन का उपयोग अंतिम संस्कार में किया जाता है ताकि लाश के दाह संस्कार के कारण खराब गंध को रोका जा सके। वास्तव में, जब एक लाश का अंतिम संस्कार किया जाता है, तो शरीर का मांस और शरीर की हड्डियों को जलने से एक तीव्र गंध आती है, चंदन इस खराब गंध के प्रभाव को कम करने का काम भी करता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए इनख़बर किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है.)
मारुति सुजुकी ने भारत से निर्यात की शुरुआत 1986 में की थी। पहली बड़ी खेप…
भारत में हर राज्य में शराब की कीमतें अलग होती हैं और इसका मुख्य कारण…
यहां जानिए 2025 आईपीएल में खेलने वाली सभी 10 टीमों में हर एक टीम का…
ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल को लेकर…
बॉलीवुड के पॉपुलर डायरेक्टर अनुराग कश्यप, जो अपनी बेबाक शैली और अनोखे विषयों वाली फिल्मों…
उर्विल टी20 प्रारूप में सबसे तेज सतक लगाने वाले भारतीय बल्लेबाज बन गए हैं।यह रिकॉर्ड…