त्रिवनंतपुरम. Onam Festival 2019 Date Calendar: ओणम त्योहार केरल राज्य का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है. ओणम को केरल राज्य में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. ओणम मलियाली हिन्दुओं का नव वर्ष भी होता है. यह त्योहार चिंगम के महीने यानी कि अगस्त और सितंबर में मनाया जाता है. जिस तरह उत्तर भारत में फसल के पकने पर त्योहार मनाया जाता है ठीक उसी तरह खेतों में फसल की उपज के लिए इसे दक्षिण भारत में मनाया जाता है. ओणम को दस दिनों तक मनाया जाता है. ओणम के दिन केरल में लोग घरों को सजाते हैं, नाचते गाते हैं और घरों में इन 10 दिनों तक घरों में विशेष पकवान बनाए जातें हैं.
आपको बता दें कि ओणम त्योहार की सबसे बड़ी विशेषता है कि दस दिनों तक मनाए जाने वाले इस त्योहार के दौरान लोग मंदिर में पूजा नहीं करते हैं बल्कि घरों में ही देवी-देवताओ को पूजते हैं. इस बार 1 सितंबर से शुरू होकर 13 सितंबर तक मनाया जाएगा. ओणम में घरों के आंगन में फूलों की पंखुड़ियों से रंगोली बनाई जाती है. घर की महिलाएं रंगोली के चारों तरफ गीत गाते हुए लोक नृत्य करती हैं. पहले दिन यह छोटी होती है, लेकिन हर रोज इसमें फूलों जोड़ा जाता है, जिसके बाद फूल बढ़ते-बढ़ते 10वें दिन यानी कि तिरुवोनम तक रंगोली का आकार काफी बड़ी हो जाता है.
कब है ओणम त्योहार 2019: When is Onam Festival 2019
केरल का कृषि पर्व कहलाए जाने वाला ओणम त्योहार मलयालम कैलेंडर के पहले महीने चिंगम की शुरुआत में पड़ता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हर साल अगस्त-सितंबर में इस त्योहार को मनाया जाता है. इस बार 1 सितंबर से शुरू होकर 13 सितंबर तक मनाया जाएगा. ओणम के पहले दो दिन सबसे महत्वपूर्ण होते हैं. ओणम के पहले दिन को उथ्रादम कहा जाता है, जबकि दूसरा दिन मुख्य ओणम यानी कि थिरूओणम कहलाता है. उथ्रादम के दिन घर की साफ-सफाई करने के बाद सजावट की जाती है.
कैसे मनाया जाता है ओणम का त्योहार: How Onam Festival is Celebrated
केरल में ओणम शुरू होने से करीब 10 दिन पहले ही ओणम की तैयारिया शुरू हो जाती हैं. त्योहार के पहले आठ दिनों तक घर में फूलों की सजावट का कार्यक्रम चलता और 9वें दिन घर में भगवान विष्णु की मूर्ति लाई जाती है. घर की महिलाएं भगवान की मूर्ति के चारों ओर नाचती हैं और गीत गाती हैं. शाम को गणेश और श्रावण देवता की मूर्ति बनाई जाती है. ओणम के आखिरी दिन को केरलवासी दीपावली की तरह बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. ओणम के दौरान घर के मंदिर की विशेष रूप से साफ सफाई की जाती है. इस त्योहार के दौरान की केरल में सर्प नौका दौड़ का आयोजन किया जाता है. ओणम के अवसप पर घरों में तरह-तरह के खास व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनमें से पचड़ी–पचड़ी काल्लम, ओल्लम, दाव, घी, सांभर प्रमुख हैं. इसके अलावा केरल के प्रसिद्ध पापड़ और केले के चिप्स भी बनाए जाते हैं. ओणम त्योहार में दूध से जो खीर बनाई जाती है उसका भी काफी महत्व है. ओणम पर केरल में पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है. केरल में नारियल के पेड़ों की सुंदरता, ताड़ के पेड़ों से भरे तालाब प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं.
विभिन्न प्रतियोगिताओं का होता है आयोजन
केरल में ओणम के दौरान कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं. इनमें सर्प नौका दौड़, पूकलम (रंगोली), पुलि कलि (टाइगर डांस) और कुम्मातीकलि (मास्क डांस) शामिल हैं. इन प्रतियोगिताओं में शामिल होने के लिए दूसरे राज्यों के लोग भी भी संख्या में केरल पहुंचते हैं.
कहां हुई थी ओणम की शुरुआत
पौराणिक कथाओं के अनुसार केरल के त्रिकाकरा मंदिर में ओणम की शुरुआत हुई थी. यही कारण है कि इस मंदिर में त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. ओणम के दौरान मंदिर में कई आयोजन होते हैं. साथ ही दस दिनों तक यहां एक खास तरह का झंडा फहराया जाता है. ओणम के दौरान आयोजित कार्यक्रमों में लोकनृत्यों के साथ-साथ पुली -कली डांस भी किया जाता है. इस डांस को करने के लिए पुरुष बाघ की तरह अपने शरीर को सजाते हैं और कुछ शिकारी बनकर नृत्य करते हैं.
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