अध्यात्म

किस दिन मनाया जाएगा तुलसी विवाह, जानिए सही तिथि, महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली: हिंदू धर्म में तुलसी को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है और तुलसी विवाह का आयोजन उनके सम्मान में किया जाता है। तुलसी विवाह का पर्व खासतौर पर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप से किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह के आयोजन से घर में सुख-समृद्धि आती है और हर तरह के कष्ट दूर होते हैं। इसे भक्तों का समर्पण और भक्ति का प्रतीक भी माना जाता है, जो उनके जीवन में शांति और सौभाग्य लाता है।

तुलसी विवाह की तिथि

इस साल तुलसी विवाह 12 नवंबर 2024, शनिवार को मनाया जाएगा। यह दिन देवउठनी एकादशी के नाम से भी प्रसिद्ध है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु चार माह के योग निद्रा से जागते हैं और सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। इस दिन तुलसी विवाह करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त की जा सकती है।

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त

तुलसी विवाह की पूजा का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर को सुबह से लेकर रात तक के विभिन्न समयों में उपलब्ध रहेगा। विशेष रूप से, इस दिन प्रदोष काल यानी शाम का समय सबसे अधिक शुभ माना जाता है। प्रदोष काल में तुलसी विवाह करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस साल तुलसी विवाह का प्रमुख मुहूर्त शाम 4 बजकर 2 मिनट पर होगा। वहीं, इस तथि का समापन दिन बुधवार 13 नवंबर, 2024 को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट पर होगा। इस दौरान विधिवत पूजा और मंत्रों के साथ तुलसी और शालीग्राम का विवाह करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

तुलसी विवाह की पूजा विधि

तुलसी विवाह की पूजा के लिए पहले तुलसी के पौधे को अच्छी तरह से सजाया जाता है। तुलसी के गमले को धोकर उसमें नए कपड़े और गहने पहनाए जाते हैं। शालीग्राम की प्रतिमा को भगवान विष्णु का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है और उन्हें भी नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। फिर तुलसी और शालीग्राम के बीच वैवाहिक रस्में निभाई जाती हैं। पूजा के दौरान “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप किया जाता है। इसके बाद तुलसी और शालीग्राम को एक धागे से बांधा जाता है, जो उनके विवाह का प्रतीक होता है।

तुलसी विवाह का लाभ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम और सुख-समृद्धि बनी रहती है। जिन घरों में तुलसी विवाह का आयोजन होता है, वहां सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और हर तरह की नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं। कहा जाता है कि तुलसी विवाह के बाद मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होता है, जैसे कि विवाह, गृह प्रवेश और अन्य धार्मिक अनुष्ठान।

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Shweta Rajput

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