नई दिल्ली: देव दिवाली का पर्व कार्तिक माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और अन्य देवताओं की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि देव दिवाली पर देवता स्वर्ग से धरती पर उतरकर गंगा स्नान करते हैं और आशीर्वाद देते हैं। इस दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठान विशेष फलदायी माने जाते हैं। देव दीपावली इस साल 15 नवंबर को है।
देव दिवाली का पर्व हर साल कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक असुर का वध किया था, जिसे देवताओं ने दिवाली के रूप में मनाया। इस पर्व को देवताओं की दिवाली भी कहा जाता है, और इसे विशेष रूप से वाराणसी में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसे “देव दीपावली” भी कहते हैं, जिसमें गंगा घाटों को दीपों की रोशनी से सजाया जाता है। इस दिन को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी विशेष माना जाता है।
1. प्रातः स्नान और संकल्प: प्रातः काल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मन में संकल्प लें कि आप देवताओं की कृपा पाने के लिए विधि-विधान से पूजा करेंगे।
2. दीप जलाएं: सूर्यास्त के समय घर, मंदिर और आसपास के स्थानों को दीयों से सजाएं। दीप जलाने का मुख्य उद्देश्य वातावरण को पवित्र बनाना है और देवताओं की कृपा पाना है।
3. भगवान शिव और विष्णु की पूजा: इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है। सबसे पहले भगवान शिव का जलाभिषेक करें और बेलपत्र, धतूरा, और चावल चढ़ाएं। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्ते, पुष्प और फल अर्पित करें।
4. गंगा स्नान और दीपदान: यदि संभव हो तो गंगा नदी में स्नान करें। इसके बाद नदी में दीपदान करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। अगर गंगा में स्नान संभव न हो, तो घर में ही किसी बर्तन में जल भरकर उसमें दीपदान करें।
5. आरती और प्रसाद: अंत में शिव और विष्णु भगवान की आरती करें। घर के सभी सदस्य मिलकर आरती में शामिल हों और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और सभी के बीच प्रसन्नता फैलाएं।
इस वर्ष देव दिवाली 15 नवंबर 2024 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाएगी। इसके शुभ मुहूर्त की शुरुआत शाम को सूर्यास्त के समय से होती है और रात्रि 10 बजे तक का समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार इस दौरान दीप जलाकर देवताओं की पूजा करना लाभकारी होता है।
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