हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का त्योहार हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है। बसंत पंचमी को वसंत पंचमी और श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। देवी सरस्वती से लोग बुद्धि, शिक्षा और सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं।
नई दिल्ली: हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का त्योहार हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है। बसंत पंचमी को वसंत पंचमी और श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। देवी सरस्वती से लोग बुद्धि, शिक्षा और सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं। इसके अलावा यह त्योहार सुहावने मौसम और खिलते सरसों के खेतों का स्वागत करता है। किसान नई फसल के मौसम के आगमन का जश्न मनाते हैं। आइए जानते हैं बसंत पंचमी की सही डेट, शुभ मुहूर्त, महत्व?
बसंत पंचमी के दिन से ऋतु परिवर्तन होता है और बसंत ऋतु का आगमन होता है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है, जो विद्या, संगीत, कला, विज्ञान और शिल्प-कला की अधिष्ठात्री देवी हैं। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से विद्यार्थियों को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन देश भर में शिक्षक और छात्र मां सरस्वती की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान बनाने की प्रार्थना करते हैं।
बसंत पंचमी, जिसे सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है, हर वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। साल 2025 में यह पर्व 2 फरवरी को मनाया जाएगा। पंचमी तिथि की शुरुआत 2 फरवरी 2025 को सुबह 7:14 बजे होगी और इसका समापन 3 फरवरी 2025 को सुबह 6:52 बजे होगा। सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त 2 फरवरी को सुबह 7:08 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक रहेगा।
1. प्रातः स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल की सफाई करें।
2. चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर मां सरस्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
3. मां को पीले वस्त्र पहनाएं और रोली, चंदन, हल्दी, केसर, पीले या सफेद फूल, पीली मिठाई और अक्षत अर्पित करें।
4. पूजा स्थल पर वाद्य यंत्र, पुस्तकें या कलम रखें।
5. घी का दीपक जलाकर मां सरस्वती की आरती करें और सरस्वती वंदना का पाठ करें।
6. अंत में प्रसाद का वितरण करें।
बसंत पंचमी के अवसर पर मां सरस्वती को पीले रंग के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। पीले रंग के व्यंजन बनाने के लिए चावल को धोकर 15-20 मिनट के लिए भिगो दें। केसर को 2 बड़े चम्मच गर्म दूध में भिगोकर रखें। उसी पैन में हरी इलायची डालकर भूनें, फिर भीगे हुए चावल डालकर 2-3 मिनट तक भूनें। अब इसमें पानी, शक्कर, केसर दूध, और यदि उपयोग कर रहे हैं तो पीला फूड कलर मिलाएं। अब इस मिश्रण को ढककर मध्यम आंच पर पकाएं जब तक चावल पूरी तरह से पक न जाएं और पानी सूख न जाए। अंत में भुने हुए मेवे मिलाएं और हल्के हाथ से मिलाएं। गरमागरम केसरिया मीठे चावल मां सरस्वती को भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में वितरित करें।
Also Read…