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इस तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने दिया था अर्जुन को उपदेश और हुआ था गीता का जन्म? जानें महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

गीता जयंती हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को महाभारत के युद्ध के दौरान दिए गए उपदेशों की स्मृति में मनाया जाता है। इस वर्ष गीता जयंती 11 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी। यह दिन मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आता है, जिसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है।

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Lord Krishna
  • December 5, 2024 11:58 am Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

नई दिल्ली: गीता जयंती हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को महाभारत के युद्ध के दौरान दिए गए उपदेशों की स्मृति में मनाया जाता है। इस वर्ष गीता जयंती 11 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी। यह दिन मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आता है, जिसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है। इसमें कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग का विस्तार से वर्णन मिलता है, जिसके माध्यम से गीता जीवन जीने का एक दर्शन प्रदान करती है।

श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व

गीता जयंती पर भक्त भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती हैं और भगवद गीता का पाठ किया जाता हैं। यह पर्व न केवल भारत में बल्कि मलेशिया, सिंगापुर और अन्य देशों में भी मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से कुरुक्षेत्र में भव्य आयोजन होते हैं। यहां भक्त ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर में पवित्र स्नान करते हैं। हरियाणा सरकार भी गीता महोत्सव का आयोजन करती है, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, गीता पाठ, और व्याख्यान शामिल होते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, मार्गशीर्ष यानी अगहन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को स्वयं भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य वाणी में गीता के ज्ञान का अवतरण हुआ था। यह गीता ज्ञान योगेश्वर श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को दिया था।

कब हुआ गीता का जन्म

धर्म ग्रंथों के अनुसार, मार्गशीर्ष यानी अगहन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि सनातन ज्ञान की परंपरा का एक महान और पवित्र दिन है। ऐसा इसलिए क्योंकि आज से लगभग 5 हजार 161 साल भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य वाणी में धरती पर गीता के ज्ञान का अवतरण हुआ था। इस साल 2024 में यह पुण्यदायी तिथि 11 दिसंबर को पड़ रही है। भगवान श्रीकृष्ण ने यह दिव्य ज्ञान तब दिया था, जब महाभारत युद्ध के समय कुरुक्षेत्र में मैदान में अर्जुन इस बात से दुखी और परेशान हो गए थे कि, वह अपने ही कुटुंब और संबंधियों से युद्ध करने के लिए मैदान में खड़े हैं। अर्जुन की दुविधा दूर करने के लिए तब भगवान श्रीकृष्ण ने उसे धर्म, कर्म और जीवन के अर्थ के बारे में उपदेश दिया। यह दिव्य उपदेश देकर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन की शंका और संशय को दूर किया। इन उपदेशों को ही भगवद गीता के नाम से जाना जाता है।

शुभ मुहूर्त

– सुबह 5 बजकर 15 मिनट से 6 बजकर 9 मिनट तक – ब्रह्म मुहूर्त
– सुबह 9 बजकर 34 मिनट से 11 बजकर 3 मिनट तक – अमृत काल
– दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से 2 बजकर 39 मिनट तक – विजय मुहूर्त
– शाम 5 बजकर 22 मिनट से 5 बजकर 5 मिनट तक – गोधूलि मुहूर्त

पूजा विधि

1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. भगवान श्रीकृष्ण और भगवद गीता की पूजा करें।3. सूर्य देव को अर्घ्य दें और मंत्रों का जाप करें।
3. भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा के साथ भगवद्गीता ग्रंथ भी रखें।
4. गीता के श्लोकों का पाठ करें और अर्चना करें।
5. व्रत रखें और सात्विक भोजन करें।
6. श्रीकृष्ण और गीता जी की आरती करें।
7. भगवान श्रीकृष्ण और गीता जी को कुमकुम, रोली और चंदन का तिलक लगाएं।
8. इसके बाद फूलों की माला पहनाएं और धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
19. आरती के दौरान भगवान श्री कृष्ण के भजन गाएं।

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