नई दिल्ली : धार्मिक शास्त्रों में माँ ब्रह्मचारिणी की माहिमा निराली है.माँ ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में माला और दुसरे हाथ में कमंडल है. माँ की पूजा करने से विद्या कि प्राप्ति होती है. इसलिए माँ ब्रह्मचारिणी को विद्या की देवी भी कहा जाता है. बता दें कि हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष […]
नई दिल्ली : धार्मिक शास्त्रों में माँ ब्रह्मचारिणी की माहिमा निराली है.माँ ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में माला और दुसरे हाथ में कमंडल है. माँ की पूजा करने से विद्या कि प्राप्ति होती है. इसलिए माँ ब्रह्मचारिणी को विद्या की देवी भी कहा जाता है.
बता दें कि हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक शारदीय नवरात्रि मनाई जाती है। और नवरात्री के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा – अर्चना की जाती है साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि के लिए व्रत रखा जाता है . अगर आप भी माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो आप इस विधि से मां की पूजा-उपासना करें।
जानें पूजा की विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह जल्दी उठें , फिर माँ दुर्गा को प्रणाम करें। इसके पश्चात दिन की शुरुआत करें और दैनिक कार्यों से निवृत होकर,स्नान के बाद अपने को आचमन कर शुद्ध कर, नवीन वस्त्र धारण करें और व्रत संकल्प लें,फिर माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए फल,फूल, दीप, धूप, हल्दी, चन्दन, आदि चीजों से करें। माँ ब्रह्मचारिणी को मिष्ठान का भोग लगाएं, अतः भोग में उन्हें लाल रंग के फल, चीनी और मिश्री अर्पित करें। पूजा के अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि और आय वृद्धि की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें।