Chaitra Navratri: नवरात्रि पर जरूर जाएं दिल्ली के इन भव्य मंदिरों में, पूरी होगी हर मनोकामना

नई दिल्ली। हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्योहार चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू होकर 17 अप्रैल तक चलेगा। धार्मिक दृष्टिकोण से चैत्र नवरात्रि बहुत महत्व है। 9 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन 9 दिनों तक उपवास रख […]

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Chaitra Navratri: नवरात्रि पर जरूर जाएं दिल्ली के इन भव्य मंदिरों में, पूरी होगी हर मनोकामना

Vaibhav Mishra

  • April 10, 2024 1:06 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 months ago

नई दिल्ली। हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्योहार चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू होकर 17 अप्रैल तक चलेगा। धार्मिक दृष्टिकोण से चैत्र नवरात्रि बहुत महत्व है। 9 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन 9 दिनों तक उपवास रख रहे हैं। इसके अलावा माता के मंदिरों में भी भारी भीड़ देखने को मिल रही है। अगर आप दिल्ली में रहते हैं या फिर घूमने आये हैं तो इन मंदिरों में जाकर माता रानी का आशीर्वाद ले सकते हैं।

छतरपुर मंदिर

छतरपुर में मां कात्यायनी का भव्य मंदिर है। नवरात्रि के दिनों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। मां कात्यायनी के अलावा यहां पर बहुत सारे देवी-देवताओं की मूर्तियां भी रखी हुई है। नवरात्रि के दौरान आप यहां जाकर माता रानी का दर्शन कर सकते हैं।

शीतला माता मंदिर

नवरात्रि के अवसर पर आप शीतला माता मंदिर भी जा सकते हैं। दिल्ली स्थित शीतला माता मंदिर 400 साल पुराना है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में माता के दर्शन से चेचक, खसरा और आंखों की कई बीमारियां अपने-आप ठीक हो जाती है।

कालकाजी मंदिर

नवरात्रि के अवसर पर आप कालकाजी मंदिर भी जा सकते हैं। कालकाजी मंदिर जयंती पीठ और मनोकामना सिद्ध पीठ मंदिर से भी प्रसिद्ध है। प्यूमिक और संगमरमर के पत्थरों से बने इस मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए जाते हैं। विशेष रूप से नवरात्रि के समय दर्शन करने से कोई भी मनोकामना पूरी होती है।

झंडेवालान मंदिर

नवरात्रि के दिनों में झंडेवालान मंदिर में भारी भीड़ रहती है। आदिशक्ति को समर्पित इस मंदिर में माता रानी के दर्शन करने से मनोकामना पूर्ण होती है। कहा जाता है कि मुगल शासन के दौरान इस मंदिर में झंडा फहराने की परंपरा शुरू हुई थी। इसी वजह से इस मंदिर का नाम झंडेवालान मंदिर पड़ा।

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