नई दिल्ली: देवउठनी एकादशी का दिन हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा से जागते हैं और सभी देवताओं के साथ पुनः सृष्टि के कार्य में लग जाते हैं। इस दिन को शुभ और पुण्य प्राप्ति के लिए विशेष माना जाता है और लोग पूजा-पाठ, व्रत, […]
नई दिल्ली: देवउठनी एकादशी का दिन हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा से जागते हैं और सभी देवताओं के साथ पुनः सृष्टि के कार्य में लग जाते हैं। इस दिन को शुभ और पुण्य प्राप्ति के लिए विशेष माना जाता है और लोग पूजा-पाठ, व्रत, तथा दान करने में विश्वास रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सही तरीके से दान करने से व्यक्ति की धन, सुख-समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार, चार महीने तक भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं, जिसे चातुर्मास भी कहते हैं। इस अवधि में किसी भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि को वर्जित माना गया है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के जागने के बाद से विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य फिर से शुरू होते हैं।
1. अन्न का दान: देवउठनी एकादशी पर चावल, गेहूं, दाल और अन्य अनाज का दान करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। माना जाता है कि इससे धन का अभाव नहीं होता और घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती।
2. धन का दान: जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता प्रदान करना अत्यधिक फलदायी माना गया है। इस दिन जरूरतमंदों को कुछ धन देने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को धन संबंधी लाभ होते हैं।
3. वस्त्र दान: सर्दियों के आगमन के इस समय में गरीबों और जरूरतमंदों को वस्त्र दान करना अत्यंत पुण्य का कार्य है। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है और परिवार पर किसी भी प्रकार की विपत्ति नहीं आती।
4. फूल-माला और तुलसी पत्र: भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पण करने और फूलों की माला चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
5. घी और तेल का दान: घी और तेल का दान भी देवउठनी एकादशी पर करना अत्यधिक लाभकारी माना गया है। इससे स्वास्थ्य लाभ होता है और घर में कभी भी आरोग्य की कमी नहीं होती।
6. कंबल और ऊनी वस्त्रों का दान: सर्दियों में गरीबों और जरुरतमंदों को कंबल और ऊनी वस्त्र दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। ऐसा करने से परिवार में शीत से जुड़ी कोई समस्या नहीं होती।
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