Falgun Vinayak Chaturthi पर बप्पा को सिंदूर चढ़ाने पर दूर होंगी समस्याएं, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Falgun Vinayak Chaturthi 2023: आज 23 फरवरी 2023 के शुभ अवसर पर फाल्गनु विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। विनायक चतुर्थी के दिन 4 योग का संयोग बन रहा है। आइए जानते है विनायक चतुर्थी के दिन कैसे होगा समस्या का समाधान, मुहूर्त और पूजा विधि-

आज 23 फरवरी 2023 के पावन अवसर को फाल्गनु विनायक चतुर्थी का व्रत रखना बेहद शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन गौरी पुत्र गजानन की पूजा करने से सुख-समृद्धि, आर्थिक संपन्नता, ज्ञान और बुद्धि प्रदान होती है। बताया जाता है कि चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इस दिन व्रत रखने के प्रभाव से विवाह में आ रही रुकावट, राहु-केतु के दोष, पति की दीर्घायु और संतान प्राप्ति होती है। इस दिवस पर चंद्र दर्शन वर्जित हैं। इस बार विनायक चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि, शुभ योग, शुक्ल योग और रवि योग का संयोग बन रहा है। इस शुभ योग में साधक को गणपति की पूजा करने से अधिक लाभ होता है। वही गणपति पूजन के दौरान कुछ सावधानियां अवश्य रखनी चाहिए।

पूजा का शुभ मुहूर्त –
23 फ़रवरी सुबह -11:32
23 फ़रवरी दोपहर- 01:49

फाल्गुन विनायक चतुर्थी पर धन प्राप्ति के उपाय

हिंदू मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन माह की विनायक चतुर्थी के अवसर पर दूर्वा माला बनाकर भगवान गणपति को अर्पित करना चाहिए। वही विघ्नहर्ता को शुद्ध घी और गुड़ का भोग चढ़ाकर वक्रतुण्ड हूं” मंत्र का 54 बार जाप करें। बाद में पूजा समाप्त होने पर गुड़ और घी गाय को खिला दें। बताया गया है कि इससे आर्थिक मुसीबत दूर होती है और साधक को धन की प्राप्ति होती है।

पूजा की विधि

फाल्गुन विनायक चतुर्थी के शुभ अवसर पर सुबह स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनें और फिर शुभ मुहूर्त पर गणपति प्रतिमा को चौकी पर विराजमान कराएं। शास्त्रों के मुताबिक माना जाता है कि गणपति को सिंदूर अति प्रिय होता है। बता दें, शिवपुराण के अनुसार भगवान गणेश ने सिंदुरासुर नाम के राक्षस का वध कर दिया था, जिसका रक्त भी सिंदूरी था। भगवान् गणेश ने उसे मारने के बाद उसका रक्त अपने शरीर पर लगा लिया था। तभी से उन्हें लाल सिंदूर अर्पण किया जाता है। ऐसा करने से सारी समस्याएं दूर हो जाती है। वही इस दिवस पर विनायक भगवान के मस्तक पर सिंदूर अर्पित करने के बाद संकटनाशन गणेश स्त्रोत का पाठ करना बेहद शुभ होता है। साथ ही लड्‌डू का भोग लगाएं और फिर आरती कर ब्राह्मणों को प्रसाद अवश्य बांटे।

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