Navratri Ashtami 2019 Date: अष्टमी के दिन कैसे करें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा जानिए विधि और महत्व

Navratri Ashtami 2019 Date: नवरात्रि नौ दिन का पर्व होता है. इसमें हर दिन मां देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. साल में दो बार नवरात्रि मनाई जाती है, लेकिन शारदीय नवरात्रि का खास महत्व होता है. इस साल शारदीय नवरात्री 29 सितंबर से शुरू हो रही है और 7 अक्टूबर तक चलेगी. हम आपको माता के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा अराधना के बारे में बता रहे हैं, जिसका काफी महत्व होता है.

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Navratri Ashtami 2019 Date: अष्टमी के दिन कैसे करें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा जानिए विधि और महत्व

Aanchal Pandey

  • September 27, 2019 8:18 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

 नई दिल्ली. हिंदू धर्म में नवरात्रि का काफी महत्व माना जाता है. नवरात्रि नौ दिन का उत्सव है, जिसे बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. नवदुर्गे के दौरान मां देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के त्यौहार को साल में दो बार मनाया जाता है जिसे चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. शारदीय नवरात्रि को महानवरात्रि भी कहा जाता है. शारदीय नवरात्रि का खास महत्व होता है. इस साल शारदीय नवरात्री 29 सितंबर से शुरू हो रही है और 7 अक्टूबर तक चलेगी. इसके बाद 8 अक्टूबर को माता के विसर्जन के साथ ही नवरात्रि समाप्त हो जाएगी.

आपको बता दें कि नवरात्रि के आठवें दिन यानि अष्टमी का खास महत्व होता है. दुर्गा अष्टमी का व्रत करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है. दुर्गा अष्टमी इसलिए भी खास है क्योंकि कि इसमें दुर्गा माता के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा होती है. माता महागौरी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। 

माता पार्वती को क्यों कहते हैं महागौरी
माता महागौरी ने दो बार कठोर तपस्या की. पहले उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी. इस कारण वह शारीरिक रूप से कमजोर हो गईं थी. शिव जी को पाने के बाद माता ने दोबारा अपने स्वास्थ्य और सौंदर्य को पाने के लिए फिर से तपस्या की. इस तपस्या के बाद माता पार्वती गौरवर्ण हो गईं, इसलिए इनका नाम महागौरी पड़ा.

जानिए क्यों नवरात्र के आठवें दिन होती है मां महागौरी पूजा
माता जब 8 वर्ष की बालिका थीं, तब देव मुनि नारद ने इन्हें इनके वास्तविक स्वरूप से परिचित कराया. फिर माता ने शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की. इसलिए इन्हें शिवा भी कहा जाता है. सिर्फ 8 साल की आयु में घोर तपस्या करने के लिए इनकी पूजा नवरात्रि के आठवें दिन की जाती है.

माता महागौरी की पूजा विधि
अष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूरे विधिविधान से पूजा करनी चाहिए. इस दिन हवन का महत्त्व बताया गया है. पूजा करने के बाद ब्राह्मणों और कन्याओं को भोजन करा कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए. महागौरी की पूजा के लिए नारियल, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है. हलवा और काले चने का प्रसाद बनाकर माता को विशेष भोग लगाया जाता है. माता महागौरी की पूजा करते समय गुलाबी रंग का वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है. क्योंकि माता गौरी ग्रहस्थ आश्रम की देवी हैं और गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है.

माता महागौरी का मंत्र
श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

 

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