नई दिल्ली. Navratri 4th day 2022: शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है. माँ अपनी हल्की मुस्कुराहट से ब्रह्मांड को उत्पन्न करती हैं, यही कारण है कि इनका नाम कूष्मांडा पड़ा. माँ की आठ भुजाएं हैं जिस कारण भक्त इन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी पूजते हैं.
हर कोई अपने जीवन में किसी न किसी वजह से परेशान है, कोई बेरोज़गारी से तो कोई बीमारी से. माना जाता है कि देवी कुष्मांडा की पूजा अर्चना कर नौकरी व्यापार में तरक्की मिलती है और साथ ही नाक, कान और गले से संबंधित बीमारियां भी दूर हो जाती हैं. देवी कुष्मांडा की पूजा घर की उत्तर दिशा में हरा वस्त्र बिछाकर की जाती है. इसके बाद माता को रोली, मोली, चावल, धूप, दीप, चंदन अर्पण करें, माता का पूजन करते समय स्वयं भी हरे वस्त्र धारण करें तथा उन्हें पूजन में हरी इलायची, सौंफ और कुम्हड़ा अर्पित करें. इसके बाद देवी के महामंत्र ॐ कुष्मांडा देवये नमः मंत्र का 3 या 5 माला का जाप करें.
पौराणिक मान्यता के अनुसार, मां कूष्मांडा से तात्पर्य है कुम्हड़ा यानि कद्दू. कहा जाता है कि मां कूष्मांडा ने संसार को दैत्यों के अत्याचार से मुक्त करने के लिए ही धरती पर अवतार लिया था, माता का वाहन सिंह है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब कुष्मांडा देवी ने ही ब्रह्माण्ड की रचना की थी. देवी कुष्मांडा को आदि स्वरूपा और आदिशक्ति भी कहा जाता है.
माना जाता है कि देवी कुष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है.
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