Shardiya Navratri 2019: नवरात्र के सातवें दिन मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि की होती है अराधना, जानें पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र समेत पूरी जानकारी

Shardiya Navratri 2019: नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है नौ रातें. नवरात्रि के इन 9 रातों और 10 दिनों के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. दसवां दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है. नवरात्रि को पूरे भारत में महान पर्व की तरह मनाया जाता है. मां दुर्गा की उपासना करने से भक्तों की सारी परेशानी दूर होती है. नवरात्रि की सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है

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Shardiya Navratri 2019: नवरात्र के सातवें दिन मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि की होती है अराधना, जानें पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र समेत पूरी जानकारी

Aanchal Pandey

  • September 30, 2019 10:02 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. मां दुर्गा की सातवीं शक्ति देवी कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं. शारदीय नवरात्र के सातवें दिन देवी कालरात्रि की उपासना की जाती है. इस दिन उपासना करने वालें का मन ‘सहस्त्रार’ चक्र में स्थित रहता है. देवी कालरात्रि को व्यापक रूप से माता देवी – काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृत्यु, रूद्रानी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है. माना जाता है कि देवी के इस रूप में राक्षस, भूत, प्रेत, पिशाच और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है. नवरात्रि की सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है. इनकी पूजा करने से भक्त के सारे पाप मिट जाते हैं.

देवी कालरात्रि का स्वरूप का वर्णन: देवी कालरात्रि के शरीर का रंग काला है, बाल बिखरे हुए, गले में विद्युत की भांति चमकने वाली माला है. इनके तीन नेत्र हैं जो ब्रह्माण्ड की तरह गोल है, जिनमें से बिजली की तरह चमकीली किरणें निकलती रहती हैं. इनका वाहन ‘गर्दभ’ ( गधा ) है. दाहिने ऊपर का हाथ वरद मुद्रा में सबकों वरदान देती है, दाहिने नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है. बायीं ओर के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और निचले हाथ में खड्ग. देवी मां का यह रूप देखने में काफी भयानक है लेकिन उनकी उपासना हमेशा शुभ और फलदायक है.

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इस सिद्ध मंत्र के जाप करने से आपके सारे पाप मिट जाएंगे और आपकी सारी परेशानी दूर हो जाएगी.

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः |

https://www.youtube.com/watch?v=QFq4z0FCHi8

भगवती कालरात्रि का ध्यान, कवच, स्तोत्र का जाप करने से भानुचक्र जागृत होता है. इनकी कृपा से अग्नि भय, अकाश भय, भूत पिशाच स्मरण मात्र से ही भाग जाते हैं. कालरात्रि माता भक्तों को अभय प्रदान करती है.

ध्यान
करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥
दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम॥
महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥

स्तोत्र पाठ
ह्रीं कालरात्रि श्रींं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कामबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

कवच
ऊँ क्लीं मे हृदयं पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततं पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥
रसनां पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशंकरभामिनी॥
वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥

 

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