Navratri 2019 Kalash Sthapana Muhurat: जानें शारदीय नवरात्रि 2019 घट स्थापना शुभ मुहूर्त, समय, पूजा विधि और क्या चाहिए होगी पूजा सामग्री

Navratri 2019 Kalash Sthapana Muhurat, Navratri 2019 Ghat Sthapana Puja Vidhi: चार प्रकार के मौसमी नवरात्र होते हैं, लेकिन जो सितंबर-अक्टूबर के महीनों में पड़ता है उसे शरद या शारदीय नवरात्रि कहा जाता है और यह सबसे ज्यादा मनाया जाने वाला त्योहार है. जानें शारदीय नवरात्रि 2019 के लिए घट स्थापना का शुभ मुहूर्त, समय और पूजा विधि. साथ ही जानें इसके लिए किस पूजा सामग्री की जरूरत पड़ेगी.

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Navratri 2019 Kalash Sthapana Muhurat: जानें शारदीय नवरात्रि 2019 घट स्थापना शुभ मुहूर्त, समय, पूजा विधि और क्या चाहिए होगी पूजा सामग्री

Aanchal Pandey

  • September 26, 2019 1:01 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. यह एक बार फिर साल का वह समय है जब देश में त्योहार और उत्सव का माहौल होता है. नवरात्रि का नौ दिवसीय त्योहार बस तीन दिन बाद शुरू होने वाला है. देवी दुर्गा के भक्तों ने इस मौसम के लिए पहले से ही विस्तृत तैयारी शुरू कर दी है. दरअसल भारत में चार प्रकार के मौसमी नवरात्र मनाए जाते हैं. हालांकि जो सितंबर-अक्टूबर के महीनों में पड़ता है उसे शरद या शारदीय नवरात्रि कहा जाता है और यह सबसे ज्यादा मनाया जाने वाला त्योहार है. इसके अलावा, शरद नवरात्रि, एक और चैत्र नवरात्रि है जिसे वसंत ऋतु के ठीक बाद मनाया जाता है. इस साल, शारदीय नवरात्रि का शुभ त्योहार 29 सितंबर से शुरू हो रहा है और 7 अक्टूबर तक चलेगा. इसके बाद 8 अक्टूबर 2019 को दशहरा मनाया जाएगा.

नवरात्रि के पहले दिन, घटस्थापना अनुष्ठान होता है जो उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है. यह 9 दिन की पूजा शुरू होने से पहले देवी शक्ति का आह्वान किया जाता है. इससे जुड़ी जानकारी जैसे घट स्थापना शुभ मुहूर्त, समय, पूजा विधि और जरूरी पूजा सामग्री के बारे में नीचे दिया गया है.

घटस्थापना पूजा मुहूर्त और समय: GhathaSthapana Puja Muhurat and time

पंचांग के अनुसार:

घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तीथि पर पड़ता है. 29 सितंबर 2019 रविवार को अश्विना घटस्थापना की जाएगी.
मुहूर्त- सुबह 06.16 से सुबह 07.40 तक
अवधि- 01 घंटा 24 मिनट
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11.48 बजे से दोपहर 12.35 बजे तक
अवधि- 47 मिनट

घटस्थापना पूजा विधि: GhathaSthapana Puja Vidhi

  • घटस्थापना के लिए मिट्टी से बना चौड़े मुंह वाला एक बर्तन उपयोग किया जाता है.
  • बर्तन में सप्त धान्य/ नवधनाय (सात या नौ विभिन्न अनाजों) के साथ मिट्टी और बीजों की तीन परतें रखें.
  • इसपर थोड़ा पानी छिड़कें ताकि बीज को पनपने और अंकुरित होने के लिए पर्याप्त नमी मिल सके.
  • एक कलश (पीतल / तांबा या चांदी से बना) मिट्टी के पात्र से छोटा और गंगा जल या नियमित स्वच्छ जल से भरकर रखें. कुछ लोग पानी के बजाय कलश में कच्चे चावल, सिक्के, सूखे हल्दी फल और कुमकुम भी डालते हैं.
  • कुछ मुद्रा सिक्के, सुपारी, अक्षत (हल्दी पाउडर के साथ कच्चा चावल) और दुर्वा घास को पानी में डालें.
  • फिर आम के पेड़ के पांच पत्ते कलश के चारों ओर रखें.
  • अंत में, एक नारियल रखकर कलश की गर्दन को ढंक दें.
  • इस कलश को मिट्टी और नवधनाय से भरे बर्तन के ठीक बीच में रखें.
  • कलश पर हल्दी-कुमकुम टीका लगाएं.
  • कलश को लाल रंग के कपड़े से ढकें और उसके चारों ओर एक छोटी माला डालें.

एक बार घाट तैयार हो जाने के बाद, इसे अपने पूजा कक्ष में एक लकड़ी के पटरे पर रखें. कलश स्थापना के बाद देवी दुर्गा का आह्वान करें. पंचोपचार पूजा करें, जिसमें आपको चंदन, फूल, धूप, तेल का दीपक और फल या प्रसाद के साथ उनका अभिवादन करें.

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