नई दिल्ली. शारदीय नवरात्रि का पर्व 29 सितंबर से शुरू हो चुका है जो 7 अक्टूबर नवमी पर मां दुर्गा की विदाई के साथ खत्म होगा. इन नौ दिनों देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. श्रद्धालु देवी पूजा की अराधना कर उनसे आशिर्वाद मांगते हैं. माना जाता है कि इन 9 दिनों जो भी व्यक्ति विधिवत दुर्गा मां का पूजन करते है उसकी सभी इच्छाए पूरी होती हैं. नवरात्रि के नौ दिन पूरे होने के बाद अश्विन पक्ष की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा का त्योहार मनाया जाता है. दरअसल, शुक्ल पक्ष महीने में भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था. वहीं इसी दौरान दुर्गा मां ने 9 रात और 10 दिन की लड़ाई के बाद राक्षस महिषासुर का अंत किया था.
शास्त्रों में नवरात्रि के त्योहार को मनाए जाने की कई वजहें बताई गई है. पहली पौराणिक कथा के मुताबिक, राक्षस महिषासुर ने ब्राह्मा जी का तप कर उनसे कभी न मरने वाला वरदान प्राप्त कर लिया. भगवान से वरदान की प्राप्ति के बाद महिषासुर निर्दयी हो गया और तीनों लोकों में अपना आतंक मचाने लगा. इससे परेशान होकर सभी देवी-देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश के साथ मिलकर मां शक्ति के रूप में दुर्गा को जन्म दिया. नौ दिनों तक मां दुर्गा और महिषासुर के बीच लगातार युद्ध हुआ और 10वें दिन देवी दुर्गा ने राक्षक का अंत कर दिया. जिसके बाद से ही इस दिन को अच्छाई पर बुराई के रूप में मनाया जाने लगा.
शारदीय नवरात्र के चौथे दिन कूष्माण्डा मां की पूजा की जाती है. देवी कूष्माण्डा को सिद्धिदायी कहा गया है. माना जाता है कि देवी कूष्माण्डा सूर्य देव को दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं. देवी कूष्मांडा के आठ हाथ हैं. चार दाएं हाथों में माता ने धनुष, बाण, कमल धारण और कमंडल धारण किया है. वहीं बाएं चार हाथों में मां गदा, चक्र, जप माला और अमृत कलश धारण किया हुआ है.
Navratri 2019 Day 4 Highlights:
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