Navratri 2019 5th Day Skandmata Puja: नवरात्रि के पांचवें दिन इस विधि से करें मां स्कंदमाता की पूजा, बरसेगी कृपा, होगी योग्य संतान की प्राप्ति

Navratri 2019 5th Day Skandmata Puja: शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन 3 अक्टूबर गुरुवार को पंचमी तिथि पर मां स्कंदमाता की पूजा का विधान बताया गया है. इस दिन मां स्कन्दमाता को जौ बाजरे का भोग लगाया जाता है.

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Navratri 2019 5th Day Skandmata Puja: नवरात्रि के पांचवें दिन इस विधि से करें मां स्कंदमाता की पूजा, बरसेगी कृपा, होगी योग्य संतान की प्राप्ति

Aanchal Pandey

  • October 2, 2019 8:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. दुर्गा मां के पवित्र पर्व शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन गुरुवार 3 अक्टूबर को पंचमी तिथि पड़ रही है. इस दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है. इस दिन मां स्कन्दमाता को जौ बाजरे का भोग लगाया जाता है. लेकिन अगर किसी व्यक्ति को शारीरिक कष्टों का निवारण चाहिए तो इस दिन माता को केले का भोग लगाएं. स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने की वजह से इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है. इनकी गोद में बालरूप में भगवान स्कंद विराजित हैं. मां स्कन्दमाता की चार भुजाएं हैं जिसमें दोनों हाथों में कमल पुष्प हैं. जबकि माता ने एक से हाथ से अपने बेटे कार्तिकेय को गोद में बैठा रखा है और दूसरे हाथ से अपना आशिर्वाद भक्तों को दे रही हैं.

नवरात्रि के पाचंवें दिन स्कंदमाता की पूजा अगर पूरे मन से की जाए तो वे अपने सभी भक्तों को हर तरह का सुख प्रदान करती हैं. मान्यता है कि जिन लोगों की संतान नहीं हो रही है या इससे जुड़ी अन्य परेशानी उत्पन्न हो रही तो वे लोग नवरात्रि में मां स्कंदमाता की पूजा जरूर करें. मां के पूजन से संतान संबंधित सभी परेशानियां दूर होंगी. वहीं कमजोर गुरु को मजबूत करने के लिए मां स्कंदमाता की पूजा जरूर करनी चाहिए. साथ ही मां की पूजा से घर के कलेश भी दूर होते हैं.

स्कंदमाता की पूजा विधि

नवरात्रि के पांचवे दिन सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़ें पहन लें. मां की प्रतिमा एक चौकी पर स्थापित करें. फिर कलश की उसपर स्थापना करें.

उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका, सप्त घृत मातृका भी स्थापित करें. अर्घ्य, आचमन, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, स्नान, चंदन, रोली, आवाहन, आसन, धूप-दीप, नैवेद्य, पान, दक्षिणा, आरती, पाद्य, हल्दी, बिल्वपत्र, आभूषण, सिंदूर, दुर्वा, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, फल, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें.

इसके साथ ही हाथ में फूल लेकर ”सिंहासनागता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी” मंत्र का जाप करते हुए फूल को मां पर अर्पित करें. मां की विधिवत पूजा के बाद मां की कथा सुने और मां की धूप और दीप से आरती करें. फिर मां को केले का भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में केसर की खीर का भोग लगाकर प्रसाद बांट दें.

मां स्कंदमाता का मंत्र

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥ अथवा या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

स्कंदमाता की व्रत कथा

शास्त्रों में कर्तिकेय को देवताओं का कुमार सेनापति कहा गया है. कार्तिकेय को पुराणों में स्कन्द कुमार, सनत कुमार आदि के नामों से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि मां इस रूप में शेर पर सवार होकर अत्याचारी दानवों का संहार करती हैं. पर्वतराज की बेटी होने की वजह से इन्हें पार्वती भी कहा गया है. शिव शंकर भोलेनाश भगवान की पत्नी होने के कारण मां का एक नाम माहेश्वरी भी है. इनके गौर वर्ण के कार्ण इन्हें गौरी भी कहा गया है. मां को अपने पुत्र से काफी प्रेम है इसलिए इन्हें स्कंदमाता भी कहा जाता है.

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